चंडीगढ (अंबाला करवेज)। देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने मार्च 2020 को लॉक डाउन करते हुए कोरोना महामारी को लेकर लोगों को सचेत किया तो वहीं यह भी एडवाइजरी जारी कर दी गई कि कोरोना से लड़ना है तो सेनिटाइजर जरूरी है। कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ने वाले हर व्यक्ति को देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘कोरोना योद्धा’ कहकर संबोधित किया। वहीं कोरोना महामारी के बीच सेनिटाइजर की डिमांड को पूरा करने वाले आयुर्वेदिक लघु उद्योग अब सरकार की पॉलिसी के कारण परेशान है। जीएसटी के नाम पर आयुर्वेदिक लघु उद्योग संचालकों पर लाखों रुपए की रिक्वरी निकाल दी गई। एक्साइज विभाग के अधिकारियों द्वारा इन कोरोना योद्धा आयुर्वेदिक लघु उद्योग संचालकों को जीएसटी चोरी के नोटिस दिए जाने लगे। ऐसा नहीं कि सब ठीक है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जीएसटी के जिस कोड का हवाला देकर जीएसटी चोरी की बात कही जा रही है, यह कोरोरा योद्धा आयुर्वेदिक लघु उद्योग संचालक उसे अपने ऊपर लागू होने से इंकार करते हैं।
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हम समझाते हैं आपको पूरा खेल, क्या सरकार का टैक्स चोरी कहना सही?
‘अंबाला कवरेज’ टीम द्वारा हरियाणा के साथ देशभर में चलने वाले आयुर्वेदिक लघु उद्योगों पर जीएसटी की चोरी किए जाने के आरोपों के बाद अपने स्तर पर इस पूरे मामले को समझने का प्रयास किया। कई कानूनी जानकारों और आयुर्वेदिक उद्योग से जुड़े कई लोगों से बातचीत करने बाद यह समझा आया कि जिसे सरकार जीएसटी चोरी कह रही है वह केवल जीएसटी के दो कोड को लेकर विवाद चल रहा है। आयुर्वेदिक उद्योग चलाने वाले व्यापारियों की बात करें तो उनका तर्क है कि जब से जीएसटी लागू हुआ तब से वह एचएसएन कोर्ड 3004 के तहत जीएसटी दे रहे हैं। (एचएसएन 3004 का मतलब यह है कि यह कोड दवाईयों पर आगू होता है। वहीं आयुर्वेद विभाग कहता है कि जो फार्मूला उनके पास रजिस्टर हैं और उसके तहत बनने वाली सभी सामान मेडिसन होता है और ऐसे में जब वह सेनिटाइजर व अन्य सामान बना रहे हैं तो वह आयूष विभाग के अनुसार वह मेडिसन है और उसपर एचएसएन कोर्ड 3004 लागू होता है)। इसी के आधार पर आयुर्वेदिक उद्योग से जुड़े लोग 12 प्रतिशत जीएसटी जमा करवाते आ रहे हैं, लेकिन अब सरकार ने जून में उद्योग संचालकों नोटिस भेजते हुए 12 प्रतिशत जीएसटी की बजाए 18 प्रतिशत जीएसटी जमा करवाने को कहा है। सरकार का तर्क है कि सेनिटाइजर में एल्कोहल है और एल्कोहल होने के कारण वह जीएसटी के कोड 3808 में आते हैं और इसपर जीएसटी 18 प्रतिशत बनता है। जबकि आयुर्वेदिक लघु उद्योग संचालकों कहना है कि जब एल्कोहल में नीम या एलोवेरा मिला दिया जाए तो वह मेडिसन बन जाता है और सरकार 3808 कोड का तर्क देकर लाखों रुपए रिक्वरी निकाल रही है। जबकि उन्होंने भी ग्राहकों से 12 प्रतिशत जीएसटी चार्ज करके ही बिल दिए हैं और वहीं जमा करवाया है।
सेनिटाइजर एसेनसियल कम्यूनिटी में शामिल, फिर 18 प्रतिशत टैक्स क्यों?
देश में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच सेनिटाइजर की डिमांड बढ़ी और देश की जरूरत को देखते हुए सरकार ने सेनिटाइजर को एसेनसियल कम्यूनिटी में डाल दिया। ऐसे में यदि जीएसटी नियमों की बात करें तो एसेनसियल कम्यूनिटी में आने के बाद जीएसटी 5 प्रतिशत लगाया जाना चाहिए था, लेकिन इक्का दुक्का को छोड़कर हर आयुर्वेदिक लघु उद्योग संचालक ने 12 प्रतिशत जीएसटी चार्ज किया और सरकार को भी 12 प्रतिशत जीएसटी जमा करवाया। इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि जब सरकार की नोटिफिकेशन के अनुसार सेनिटाइजर 21 मार्च से लेकर 6 जुलाई तक एसेनसियल कम्यूनिटी में रहा तो फिर ऐसे में उसी सामान पर 18 प्रतिशत टैक्स वसूली करना कितना जायज होगा। व्यापारियों ने कहा कि इसका सीधा मतलब यह है कि सरकार यह चाहती है कि सेनिटाइजर महंगा हो और लोग इसे खरीदने से गुरेज करें। वहीं सरकार ने मार्च 2020 में नोटिफिकेशन निकालकर सरकार ने यह भी दबाव बनाया कि 100 मिली 50 रुपए और 200 मिली 100 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकता, लेकिन अब सरकार जीएसटी 18 प्रतिशत मांग रही हैं।
आयुर्वेदिक लघु उद्योग ने कोरोना से लड़ने में निभाई अहम भूमिका
आयुर्वेदिक लघु उद्योग ने कोरोना महामारी के बीच सेनिटाइजर की डिमांड को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई। जब कोरोना महामारी के कारण लॉक डाउन हुआ तो यह लघु उद्योग संचालकों ने अपने परिवार के लोगों के साथ मिलकर सेनिटाइजर बनाए और मार्केट की डिमांड को पूरा करने का काम किया। हरियाणा की बात की जाए तो आयुर्वेदिक लघु उद्योग ने लगभग पूरे देश में सेनिटाइजर की सप्लाई दी। इसी बीच इस उद्योग ने अधिकारियों की उस कार्रवाई के दबाव को भी झेला, जोकि नकली सेनिटाइजर बनाने वालों के कारण उस उद्योग पर आया। कोरोना महामारी में कोरोना योद्धा की तरह काम करने वाले इस उद्योग पर अब जीएसटी की मार पड़ रही है, जिससे वह परेशान हैं। फैक्टरी संचालकों तर्क है कि सरकार और उनके द्वारा दिए गए जीएसटी में 6 प्रतिशत का फर्क है और ऐसे में यदि सरकार ने यह बात नहीं समझती तो निश्चिततौर पर कई आयुर्वेदिक लघु उद्योग संचालक परेशान हो जाएंगे और कर्ज में डूब जाएंगे।
हरियाणा आयुर्वेदिक ड्रग मनोफैक्चर एसोसिएशन के प्रधान प्रदीप सिंगला क्या बोले
हरियाणा आयुर्वेदिक ड्रग मनोफैक्चर एसोसिएशन के जिला अंबाला प्रधान प्रदीप सिंगला ने कहा कि उनके लाइसेंस आयुर्वेद में रजिस्टर हैं और आयुर्वेद में बनने वाले सामान को मेडिसल कहा जाता है। वह सालों से जीएसटी के कोर्ड 3004 में टैक्स देते आए हैं। कभी कोई आपत्ति नहीं हुई, लेकिन अब सेनिटाइजर को 3808 कोड में बताकर उनसे 18 प्रतिशत टैक्स मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब वह जीएसटी के कोड 3808 में आते नहीं तो उनपर 18 प्रतिशत टैक्स कैसे मांगा जा सकता है। वहीं प्रदीप सिंगला ने कहा कि सेनिटाइजर को सरकार ने एसेंसियल कम्यूनिटी में शामिल कर दिया था और जीएसटी के अनुसार उसपर केवल 5 प्रतिशत टैक्स लगना चाहिए था, लेकिन फिर भी व्यापारियों ने 12 प्रतिशत टैक्स जमा करवा रखा है। यदि सरकार ने इस भ्रम को खत्म नहीं किया तो वह कोर्ट जाएंगे और जरूरत पड़ी तो वह फिर जीएसटी के 5 प्रतिशत टैक्स वाले बिंदू पर भी अपनी बात कोर्ट में रखेंगे।