Today News: स्कूल फीस देने में असमर्थ अभिभावक को सरकार दे आर्थिक मदद, पढ़िए इस पर क्या बोले शिक्षामंत्री

Government gives financial assistance to parents unable to pay school fees

यमुनानगर/रादौर (अंबाला कवरेज)। शिक्षा नियमावली के सरलीकरण को लेकर सुमित चावला की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय प्रतिनिधि मंडल रविवार को शिक्षामंत्री से उनके आवास पर मिला। प्रदेश प्रवक्ता अजय सैनी, जिला प्रधान व सह संयोजक मुकेश शास्त्री, रोहतक जिला प्रधान जयवीर बूरा, उप प्रधान नवाब सिंह सन्धाय, विजय शर्मा, राकेश कुमार कोट ने निजी स्कूल संचालकों का पक्ष मजबूती से रखा। वन स्टेट वन यूनियन का राज्य स्तरीय प्रतिनिधि मंडल के प्रतिनिधियों ने कहा कि स्कूल फीस देने में असमर्थ अभिभावक को सरकार आर्थिक मदद दें। ये ही कारण है कि मंडल सभी मंत्रियों, विधयकों, सांसदों, मेयर आदि से मिलने की कड़ी में एकबार फिर से शिक्षामंत्री से मिलकर निजी स्कूलों की समस्याओं का समाधान करने का आग्रह किया। प्रतिनिधि मंडल ने अपनी बातें रखते हुए कहा कि निजी स्कूल जो पिछले कई वर्षों से हर वर्ग के बच्चों को कम फीस में अच्छी व संस्कारी शिक्षा देकर समाज की उन्नति और तरक्की के लिए अच्छे शिष्य समाज को प्रदान करते आ रहे हैं।

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इस कोरोना महामारी के दौरान नीजि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति से भी नीजि स्कूल बखूबी वाकिफ है। जिसके कारण अभिभावकों के द्वारा एक माह की फीस भी अभी तक नही दी गयी है। जिस कारण से व्यवस्था को पटरी पर लाना कठिन हो गया है और इसी कारण से वन स्टेट वन यूनियन का प्रतिनिधि मंडल सहयोग की उम्मीद से सभी मंत्रियों, विधायकों, सांसदों, मेयर आदि से मिलकर आग्रह करते हुए ज्ञापन दे रहे है कि निम्न लिखित विषयों पर विचार किया जाए। उन्होंने बताया कि इस महामारी के कारण जब तक स्कूल बंद रखने की हिदायत दी गई है, तब तक सभी निजी स्कूलों के सभी प्रकार के सरकारी खर्च माफ किए जाए। जैसे कि बिजली का बिल, पानी का बिल व निगम से संबंधित अन्य कर इत्यादि। वहीं जो स्कूल संचालक किराए की बिल्डिंग में स्कूल चला रहे है, लॉकडाउन की अवधि के दौरान उनके किराए माफ करवाए जाए। जिन स्कूलों की बसों की ईएमआई रुकी है, उन्हें माफ किया जाए या उन्हें बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराया जाए। लॉकडाउन के दौरान भी सभी स्कूल अपने विद्यार्थियों को आनलाइन शिक्षा दे रहे है। परंतु सभी अभिभावक सरकार के आदेशानुसार 12 महीने की फीस देने में सक्षम नही है। उन्होंने कहा कि स्कूल फीस देने में असमर्थ अभिभावक हैं और सरकार इस लिए आर्थिक पैकेज दे। उन्होंने कहा कि 5 से 7 प्रतिशत अभिभावक ही फीस दे रहे है। इसलिए इस दिशा में लॉकडाउन की अवधि के दौरान जो असक्षम अभिभावक हैं, उनके बच्चों की फीस की अदायगी सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज देकर की जाए। जिससे सभी टीचर्स का वेतन व अन्य जरूरी भुगतान किए जा सके। लॉकडाउन के उपरांत जब तक स्थिति सामान्य नही होती, तब तक स्कूल न खोले जाए व प्रशासन के आदेशानुसार जब कभी भी स्कूल खोले जाए, तो स्कूलों पर किसी प्रकार का चालान न किए जाए।

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उन्होंने शिक्षामंत्री कंवरपाल गुज्जर ने कहा कि अपने स्कूलों में अध्यापन का अवसर देकर व इसके अतिरिक्त अन्य बहुत से पद है जैसे कि स्वीपर, गार्ड, ड्राइवर, माली, चपरासी, इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर इत्यादि अनेक पदों पर भी हजारों लोगों को रोजगार देकर सरकार का सहयोग करते हुए इन घरों की जीविका का साधन बनते आ रहे है। इन सबके बावजूद भी एक निजी स्कूल संचालक को स्कूल चलाने के लिए निजी स्तर पर आर्थिक चुनौतियों से लड़ते हुए रजिस्ट्रार, हैल्थ विभाग, फायर विभाग व शिक्षा विभाग द्वारा तय मानकों को पूरा करते हुए समाज मे अहम भूमिका निभा रहे है। परंतु 22 मार्च से जनता कफ्यऱ्ू के बाद से आज तक सामान्य स्कूल संचालकों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो चुकी है और इस स्थिति में स्कूल से जुड़े कर्मचारियों के साथ साथ स्वयं के घरों का चूल्हा भी जलना मुश्किल हो गया है।

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