ambala today news: पढ़िए खबर: मदन गुप्ता सपाटू ने कहा 15 अक्तूबर को विजय दशमी पर किस मुहूर्त में करें पूजा क्या करें उपाय खेत्री से कैसे देखें भविष्य और इसका  क्या किया जाए

अंबाला कवरेज@ चंडीगढ़ आश्विन शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाने वाला विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु के समापन तथा शरद के आरंभ का सूचक है। यह क्षत्रियों का भी बड़ा पर्व है। ब्राहमण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं। इस दिन तारा उदय होने का समय विजयकाल कहलाता है। यह मुहूर्त सब कामों को सिद्ध करता है।सायंकाल अपराजिता पूजन, भगवान राम, शिव,शक्ति ,गणेश , सूर्यादि देवताओं का पूजन करके आयुध , अस्त्र शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। इस साल दशहरा 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को मनाया जाएगा। दशहरा दिवाली से ठीक 20 दिन पहले आता है। नवमी तिथि 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नवमी तिथि के बाद दशमी को विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है। वैसे अपराहंकाल , विजया यात्रा का मुहूर्त माना गया है।दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय प्रयाण , शमी पूजन तथा नवरात्रि समापन का दिन है दशहरा 15 अक्तूबर को सूर्यास्त सायंकाल 17.50 पर होगा। इससे पूर्व ही रावण दहन तथा सरस्वती विसर्जन किया जाना चाहिए विजयदशमी हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. विजय दशमी का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने अहंकारी रावण का वध कर धरती को उसके प्रकोप से बचाया था. यह राक्षस पर देवी दुर्गा की विजय के जश्न के रूप में भी मनाया जाता है.दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है. इसी कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है. ambala today news: पढ़िए खबर: मदन गुप्ता सपाटू ने कहा 15 अक्तूबर को विजय दशमी पर किस मुहूर्त में करें पूजा क्या करें उपाय खेत्री से कैसे देखें भविष्य और इसका  क्या किया जाए

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विजय दशमी पूजा मुहूर्त

अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि शुरू – 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 52 मिनट से

अश्विन मास शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त – 15 अक्टूबर 2021 शाम 6 बजकर 2 मिनट पर

पूजन का शुभ मुहूर्त – 15 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक

कैसे करें पूजा ?

यों तो पूरा दिन ही शुभ है परंतु विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक विशेष शुभ माना गया है।

प्रातः काल , ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन ,कुमकुम आदि से अष्टदल बनाएं और पूर्ण शोडषोपचार सहित अपराजिता देवी के साथ साथ जया तथा विजया देवियों की भी पूजा करें ।अक्षत अर्पित करते हुए ओम् अपराजितायै नमः, ओम् क्रियाशक्तौ नमः तथा ओम् उमायै नमः मंत्रों की एक एक माला करें प्रथम नवरात्रि पर बीजी गई जोै अर्थात  खेतरी को तोड़कर पूजा के थाल में रखें और पूजा के बाद घर व दूकान के मंदिर तथा धन स्थान के अलावा पाठ्य पुस्तकों , एकाउंट्स बुक्स आदि में भी में रखें। इस दिन कलम पूजन भी किया जाता है दशहरे पर फलों में सेब, अनार तथा ईख – गन्ने घर में अवश्य लाने चाहिए  गन्ना प्राकृतिक मधुरता ,उंचापन तथा हरियाली दर्शाता है जो हर परिवार की आज आवश्यकता है। इसलिए पूजा सामग्री में ईख जरुर रखें ।

दशहरा वर्ष का सबसे शुभ मुहूर्त

इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य आरंभ कर सकते हैं । गृह प्रवेश] वाहन या भवन क्रय] नये व्यवसाय का शुभारंभ] मंगनी] विवाह ]एग्रीमेंट आदि ।इस दिन खासकर खरीददारी करना शुभ माना जाता है जिसमें सोना,चांदी और वाहन की खरीदी बहुत ही महत्वपूर्ण है।दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है यह साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है (साल का सबसे शुभ मुहूर्त – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (आधा मुहूर्त))। यह अवधि किसी भी चीज़ की शुरूआत करने के लिए उत्तम है। हालाँकि कुछ निश्चित मुहूर्त किसी विशेष पूजा के लिए भी हो सकते हैं।

 दशहरा का मतलब होता है दसवीं तिथी। पूरे साल में तीन सबसे शुभ घड़ियां होती हैं, एक है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरी है कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा और तीसरा है दशहरा। इस दिन कोई भी नया काम शुरू किया जाता है और उसमें अवश्य ही विजय मिलती है दशहरे के दिन नकारात्मक शक्तियां खत्म होकर आसमान में नई ऊर्जा भर जाती है दशहरे पर पूरे दिनभर ही मुहूर्त होते हैं इसलिए सारे बड़े काम आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं यह एक ऐसा मुहूर्त वाला दिन है जिस दिन बिना मुहूर्त देखे आप किसी भी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं।अपराजिता पूजा को विजयादशमी का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है,हालाँकि इस दिन अन्य पूजाओं का भी प्रावधान है जो नीचे दी जा रही हैं:

  1. इससमय कोई भी पूजा या कार्य करने से अच्छा परिणाम प्राप्त होता है। कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने दुष्ट रावण को हराने के लिए युद्ध का प्रारंभ इसी मुहुर्त में किया था। इसी समय शमी नामक पेड़ ने अर्जुन के गाण्डीव नामक धनुष का रूप लिया था।
  2. क्षत्रिय, योद्धाएवं सैनिक इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं; यह पूजा आयुध/शस्त्र पूजा के रूप में भी जानी जाती है। वे इस दिन शमी पूजन भी करते हैं। पुरातन काल में राजशाही के लिए क्षत्रियों के लिए यह पूजा मुख्य मानी जाती थी।
  3. ब्राह्मणइस दिन माँ सरस्वती की पूजा करते हैं।
  4. वैश्यअपने बहीखाते की आराधना करते हैं।
  5. कईजगहों पर होने वाली नवरात्रि रामलीला का समापन भी आज के दिन होता है।
  6. रावण, कुंभकर्णऔर मेघनाथ का पुतला जलाकर भगवान राम की जीत का जश्न मनाया जाता है।
  7. ऐसाविश्वास है कि माँ भगवती जगदम्बा का अपराजिता स्त्रोत करना बड़ा ही पवित्र माना जाता है।

जौै के रंगों में छिपा आपका भविष्य

इस दिन शस्त्र पूजन के अलावा , बही पूजन, कलम पूजन,सरस्वती पूजन तथा सरस्वती विसर्जन किया जाता है नवरात्रि में बोई गई खेत्तरी अर्थात जौ को इस दिन प्रातः तोड़ा जाता है और पूजा स्थान के अतिरिक्त इसे ,घर के शुभ स्थानों पर रखा जाता है। हरी जौ जीवन के हरे भरे होने का प्रतीक एवं कामना है।इस जौ के रंगों से भविष्य कथन की भी परंपरा है।

जौ के रंग देखकर आप अपने भविष्य के बारे अनुमान लगा सकते हैं।

हरा- परिवार में धन धान्य,सुख समृद्धि रहेगी।

सफेद-शुभता रहेगी

काले -निर्धनता, अत्याधिक व्यय की संभावना

नीले- पारिवारिक कलह के संकेत

रक्तवर्ण-रोग व्याधि हो सकता है।

धूम्र- अभाव इंगित करता है।

मिश्रित- काम बने या रुके

टेढ़े- दुर्घटनाएंसंभावित ।

संकट से मुक्ति के उपाय

 खेत्री के अशुभ संकेत होने पर मां दुर्गा से कष्टों को दूर करने के लिए प्रार्थना करें अौर दसवीं तिथि को नवग्रह के नाम से 108 बार हवन में आहुती दें। उसके पश्चात मां के बीज मंत्र

 ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः 

जौ जीवन में सुख और शांति का प्रतीक होते हैं क्योंकि देवियों के नौ रूपों में एक मां अन्नपूर्णा का रूप भी होता है। जौ की खेत्री का हरा-भरा होना इस बात का प्रतीक है कि जीवन भी हरा-भरा रहे और साथ ही देवी की कृपा भी बनी रहे विसर्जन करने से पहले माता जी के स्वरूप तथा जवारों का विधिपूर्वक पूजन करें विधि विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं। अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र

 ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’

 से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र समर्थ है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें।

 पूजन समाप्ति के उपरांत अंजली में चावल एवं पुष्प लेकर जवारे का पूजन निम्न मंत्र के साथ करें-

 गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।

पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।

 अब खेतरी का विसर्जन कर दें, नवरात्र के नौ दिनों में खेत्री में समाई नवदुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।ambala today news: पढ़िए खबर: मदन गुप्ता सपाटू ने कहा 15 अक्तूबर को विजय दशमी पर किस मुहूर्त में करें पूजा क्या करें उपाय खेत्री से कैसे देखें भविष्य और इसका  क्या किया जाए

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