ambala coverage news : वहम या ओसीडी (ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर ) का चक्र

अमित कुमार
अंबाला कवरेज @ अंबाला।  OCD, यानी ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर, एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को बार-बार अनचाहे विचार (ऑब्सेशन्स) आते हैं और वे उन विचारों से छुटकारा पाने के लिए दोहराव वाले व्यवहार (कम्पल्शंस) करने लगते हैं। यह एक चक्र में चलता रहता है, जिसे “ओसीडी चक्र” कहा जाता है।

1. ऑब्सेशन (Obsession – जुनूनी विचार)

OCD चक्र की शुरुआत होती है जुनूनी विचारों से। ये विचार अचानक और बार-बार मन में आते हैं और बहुत ही परेशान करने वाले होते हैं। उदाहरण के लिए –

“क्या मैंने दरवाज़ा या लॉक बंद किया या नहीं?”

“कहीं मेरे हाथ गंदे तो नहीं?”

“अगर मैंने कुछ गलत कर दिया या मुझसे कुछ ग़लत हो गया तो क्या होगा?”

इन विचारों को व्यक्ति रोकना चाहता है, पर वे बार-बार आकर चिंता पैदा करते हैं।

2. चिंता (Anxiety – बेचैनी)
जैसे ही ये विचार आते हैं, व्यक्ति को गहरी चिंता या डर महसूस होता है। यह चिंता इतनी तीव्र होती है कि वह उसे झेल नहीं पाता। मन में बेचैनी बढ़ने लगती है और व्यक्ति उससे छुटकारा पाने की कोशिश करता है।

3. कम्पल्शन (Compulsion – जबरन किया गया व्यवहार)
चिंता को कम करने के लिए व्यक्ति कुछ दोहराव वाले व्यवहार करता है जैसे:

“बार-बार हाथ धोना”

“बार-बार दरवाज़ा या ताला चेक करना”

“गिनती करना या कुछ विशेष क्रम में चीज़ें रखना”
हालांकि यह व्यवहार थोड़ी देर के लिए राहत देता है, लेकिन समस्या को स्थायी रूप से हल नहीं करता।

4. अस्थायी राहत (Temporary Relief)
व्यक्ति को कुछ समय के लिए राहत मिलती है क्योंकि उसने अपनी चिंता कम करने का तरीका अपनाया। लेकिन यह राहत अस्थायी होती है।

5. फिर से ऑब्सेशन:
कुछ समय बाद वही या नए जुनूनी विचार फिर से आने लगते हैं और यह चक्र दोबारा शुरू हो जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion):
OCD एक मानसिक चक्र है जो ऑब्सेशन, चिंता, कम्पल्शन और राहत के बीच घूमता रहता है। इसे समझना और मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सक की मदद लेना जरूरी होता है। व्यवहारिक थेरेपी (CBT) व ईआरपी थेरेपी के माध्यम से इस चक्र को तोड़ा जा सकता है।

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