ambala coverage news : अंबाला कैंट के नवनिर्मित घरेलू हवाई अड्डे का नामकरण अंबाला के शहीद मेजर योगेश गुप्ता के नाम पर रखने की मांग की

अमित कुमार
अंबाला कवरेज@ अंबाला। शहीद मेजर योगेश गुप्ता (आईसी 57224वाई), 274 मीडियम रेजिमेंट, एनडीए कोर्स नंबर 90 (जूलियट स्क्वॉड्रन), आईएमए कोर्स नंबर 100 (रेगुलर), सैनिक स्कूल कपूरथला, 12 जुलाई 2002 को 07:00 बजे 25 आरआर में सेवा करते हुए आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी और उनमें से 4 आंतकवादियों को मार गिराया आगामी गोलीबारी में मेजर योगेश गुप्ता के पेट पर गोली लगने से गंभीर घाव हो गया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद मेजर योगेश गुप्ता ने आतंकवादियों से बहादुरी से मुकाबला जारी रखा और चार खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया  उस समय सेना के कमांडरों ने इस सर्वोच्च बलिदान और सर्वोच्च कोटि की बहादुरी के कार्य को किसी भी तरह से वीरता पुरस्कार देने के योग्य नहीं पाया। यह समझ में नहीं आता कि अपनी जान देने और अंतिम सांस लेते समय भी चार खूंखार आतंकवादियों को मारने से अधिक और क्या चाहिए था। शहीद होने के समय 25RR के अधिकारियों के अनुसार, उनका नाम अशोक चक्र के लिए भेजा गया था, लेकिन अब मेजर योगेश गुप्ता के माता-पिता द्वारा उनके बेटे के लिए मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन पर AG की शाखा ने उत्तर दिया कि मेजर योगेश गुप्ता के संबंध में कोई प्रशस्ति पत्र प्राप्त नहीं हुआ है और अब इतने वर्ष बीत चुके हैं, इसलिए कुछ नहीं किया जा सकता। मृतक अधिकारी के माता-पिता अपने दिल में इस दुख के साथ मर गए।

क्या सैनिकों का बलिदान इतना छोटा है कि इसे धूल और समय के नीचे कुचल दिया जा सकता है, जो कि केवल कुछ वर्ष है?
यदि प्रशस्ति पत्र AG शाखा तक नहीं पहुंचा, जो कि श्रृंखला में मुख्यालय है, तो इस प्रशस्ति पत्र को किसने रोका और इस बलिदान और बहादुरी के कार्य को आगे की सिफारिश के लिए पर्याप्त नहीं पाया। इस अधिकारी के बलिदान के इस अत्यधिक अनादर के लिए कभी कोई जवाब नहीं आया। अपने भाई के नाम पर हवाई अड्डे का नाम रखने के इस अनुरोध के साथ, मैं इस अधिकारी के बलिदान के प्रति किए गए अनादर और परिवार के सदस्यों के दिल में पनप रहे दर्द/पीड़ा के लिए कुछ न्याय की मांग कर रहा हूं। अंबाला घरेलू हवाई अड्डे का नाम मेरे शहीद भाई के नाम पर रखने में आपकी मदद की जरूरत है ताकि मेजर योगेश गुप्ता के बलिदान और बहादुरी को न्याय मिल सके ।
edited by alka rajput

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