अमित कुमार
अंबाला कवरेज @ अंबाला। डीएवी सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल, अंबाला शहर में सोमवार को महात्मा हंसराज जी की पुण्य जयंती एवं विद्यालय के स्थापना दिवस के पावन अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वैदिक परंपराओं की गरिमा और राष्ट्रभक्ति की भावना का एक अद्वितीय संगम देखने को मिला, जिसने सभी उपस्थितों के हृदय को भाव-विभोर कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत नर्सरी से कक्षा द्वितीय तक के नन्हे छात्रों की रंग-बिरंगी बलून रैली से हुई। बच्चों द्वारा प्रस्तुत देशभक्ति गीतों और नृत्यों ने सभी का मन मोह लिया और छोटे बच्चों की मासूम अभिव्यक्ति ने देशप्रेम की भावनाओं को नए रंगों से भर दिया। मंच पर प्रस्तुत कार्यक्रमों में सबसे प्रमुख आकर्षण एक अत्यंत भावपूर्ण एवं संगीतमय लघु नाटिका रही, जिसे संगीत विभाग की श्रीमती मनजीत कौर व श्रीमती आरती द्वारा बड़े परिश्रम और लगन से तैयार करवाया गया था। इस नाटिका में लाला लाजपत राय, राम प्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, गुरुदत्त विद्यार्थी एवं महात्मा हंसराज जी जैसे राष्ट्रभक्तों की भूमिकाएं छात्रों ने अत्यंत सजीवता से निभाईं। संगीत और अभिनय का ऐसा समन्वय मंच पर देखने को मिला जिसने दर्शकों की आँखें नम कर दीं और देशभक्ति की लहर दौड़ा दी।कार्यक्रम की आध्यात्मिक ऊँचाई उस समय देखने को मिली जब संगीत विभाग के श्री दिनेश जी के निर्देशन में तैयार किया गया भजन “भगवान आर्यों को ऐसी लगन लगा दे” प्रस्तुत किया गया। विद्यार्थियों की मधुर वाणी में इस भजन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और पूरे सभागार में एक पवित्र, वैदिक ऊर्जा का संचार हुआ। कक्षा 10 की अनन्या तथा कक्षा 6 की दिशिता और परिणीता ने कविताओं के माध्यम से महात्मा हंसराज जी के त्याग और सेवा को शब्दों में बाँधा। साथ ही शिक्षिका श्रीमती सुमन शर्मा द्वारा प्रस्तुत कवि-श्रद्धांजलि ने सभी के मन में गहरी छाप छोड़ी। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. राधा रमण सूरी ने इस पावन अवसर पर अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में विद्यार्थियों को वैदिक जीवनशैली अपनाने, वैज्ञानिक सोच विकसित करने और समाज कल्याण के लिए तत्पर रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने विशेष रूप से संगीत विभाग के शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के प्रयासों की सराहना की। समस्त शिक्षकगण, अभिभावक और छात्र-छात्राओं की सहभागिता ने इस आयोजन को एक गरिमामयी, प्रेरणादायक एवं ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम से भी समृद्ध होती है।
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