अमित कुमार
अंबाला कवरेज @ अंबाला। सनातन धर्म कॉलेज, अंबाला छावनी के हिंदी विभाग के शिक्षकों डॉ. लीना गोयल, डॉ. मनोज कुमार द्वारा सहलेखित पुस्तक ‘21वी सदी के बाल साहित्य में परशुराम शुक्ल का योगदान’ हाल ही में प्रकाशित हुई है और उसका विधिवत विमोचन किया गया है। यह पुस्तक 21वीं सदी के विभिन्न बाल साहित्यकारों में से एक चर्चित साहित्यकार परशुराम शुक्ल के सृजनात्मक योगदान का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह गर्व का विषय है कि इस शोधपरक कृति ने हिंदी विभाग की बौद्धिक गरिमा को एक नई ऊँचाई दी है। इस अवसर पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अलका शर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. विजय शर्मा एवं वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. सरयू शर्मा ने लेखकों को इस उल्लेखनीय उपलब्धि हेतु हार्दिक बधाई दी एवं निरंतर शोध और सृजन की कामना की। डॉ. अलका शर्मा ने अपने संदेश में कहा कि शिक्षकों का यह रचनात्मक योगदान महाविद्यालय की अकादमिक पहचान को और भी समृद्ध करता है डॉ. विजय शर्मा ने कहा कि इस प्रकार के सामूहिक प्रयास, विभागीय चेतना और रचनात्मक ऊर्जा के परिचायक हैं। डॉ. सरयू शर्मा ने पुस्तक की शोधमूलक दृष्टि और विषय-वस्तु की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की कृतियाँ न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध करती हैं, बल्कि विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनती हैं। लेखकों ने विशेष रूप से डॉ. विजय शर्मा एवं डॉ. सरयू शर्मा का आभार प्रकट किया, जिन्होंने लेखन प्रक्रिया के दौरान उनका निरंतर मार्गदर्शन प्रदान किया और समय समय पर उत्साहवर्धन करते रहे। लेखकों ने बताया कि पुस्तक की संकल्पना, लेखन और प्रकाशन की संपूर्ण प्रक्रिया में विभागीय सहयोग, मार्गदर्शन और आपसी समन्वय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह कृति विद्यार्थियों, शोधार्थियों तथा बाल साहित्य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। यह विमोचन हिंदी विभाग के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण रहा, जो न केवल शैक्षणिक उपलब्धि है, बल्कि साहित्यिक प्रतिबद्धता का भी सशक्त उदाहरण है।
अंबाला कवरेज @ अंबाला। सनातन धर्म कॉलेज, अंबाला छावनी के हिंदी विभाग के शिक्षकों डॉ. लीना गोयल, डॉ. मनोज कुमार द्वारा सहलेखित पुस्तक ‘21वी सदी के बाल साहित्य में परशुराम शुक्ल का योगदान’ हाल ही में प्रकाशित हुई है और उसका विधिवत विमोचन किया गया है। यह पुस्तक 21वीं सदी के विभिन्न बाल साहित्यकारों में से एक चर्चित साहित्यकार परशुराम शुक्ल के सृजनात्मक योगदान का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह गर्व का विषय है कि इस शोधपरक कृति ने हिंदी विभाग की बौद्धिक गरिमा को एक नई ऊँचाई दी है। इस अवसर पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अलका शर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. विजय शर्मा एवं वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. सरयू शर्मा ने लेखकों को इस उल्लेखनीय उपलब्धि हेतु हार्दिक बधाई दी एवं निरंतर शोध और सृजन की कामना की। डॉ. अलका शर्मा ने अपने संदेश में कहा कि शिक्षकों का यह रचनात्मक योगदान महाविद्यालय की अकादमिक पहचान को और भी समृद्ध करता है डॉ. विजय शर्मा ने कहा कि इस प्रकार के सामूहिक प्रयास, विभागीय चेतना और रचनात्मक ऊर्जा के परिचायक हैं। डॉ. सरयू शर्मा ने पुस्तक की शोधमूलक दृष्टि और विषय-वस्तु की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की कृतियाँ न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध करती हैं, बल्कि विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनती हैं। लेखकों ने विशेष रूप से डॉ. विजय शर्मा एवं डॉ. सरयू शर्मा का आभार प्रकट किया, जिन्होंने लेखन प्रक्रिया के दौरान उनका निरंतर मार्गदर्शन प्रदान किया और समय समय पर उत्साहवर्धन करते रहे। लेखकों ने बताया कि पुस्तक की संकल्पना, लेखन और प्रकाशन की संपूर्ण प्रक्रिया में विभागीय सहयोग, मार्गदर्शन और आपसी समन्वय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह कृति विद्यार्थियों, शोधार्थियों तथा बाल साहित्य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। यह विमोचन हिंदी विभाग के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण रहा, जो न केवल शैक्षणिक उपलब्धि है, बल्कि साहित्यिक प्रतिबद्धता का भी सशक्त उदाहरण है।