सर्वेक्षण में जुटाया जाएगा पूरा ब्योरा निगम क्षेत्र में जो कॉलोनियां या क्षेत्र वैध होने से रह गए हैं, उनमें ड्रोन सर्वे सहित मार्किंग व जीआईएस (जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम) पर करीब 49 लाख खर्च होंगे। हाल ही में हुई हाउस की बैठक में इस प्रस्ताव को पास भी किया गया था। जिसके बाद अब इस पर काम शुरू हो गया है। इसके तहत कॉलोनी का नाम, क्षेत्र, लोकेशन, निगम एरिया में है या उसके बाहर, काॅलोनी का इस्तेमाल रिहायशी, व्यावसायिक, इंडस्ट्रियल (तीनों का प्रतिशत), किस साल स्थापना हुई, कंट्रोल्ड या अर्बन क्षेत्र, लेआउट प्लान, कुल प्लाट, कितने प्लाट पर निर्माण व कितने खाली, कॉलोनी में कितने परिवार रहते हैं। स्ट्रीट लाइट, पेयजल आपूर्ति व अंडरग्राउंड सीवरेज, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, पार्क या ओपन स्पेस है या नहीं, रास्ता कच्चा है या पक्का और उसकी लंबाई, चौड़ाई कितनी है, कहां रोड की चौड़ाई तीन मीटर से कम है, अप्रोच रोड से मुख्य मार्ग की दिशाएं, किस सबस्टेशन से बिजली आपूर्ति हो रही है, कॉलोनी में कम्युनिटी साइट है या नहीं, है तो वह कितने क्षेत्र में है, रजिस्टर्ड रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन है या नहीं। यह सब ब्योरा सर्वेक्षण में जुटाया जाएगा।वैध होने से वंचित नहीं रहेगी कोई कॉलोनी मेयर मदन चौहान ने कहा कि ड्रोन सर्वेक्षण में उनका पूरा प्रयास रहेगा कि नगर निगम क्षेत्र में कोई भी कॉलोनी शर्तें पूरी करने के बावजूद वैध होने से वंचित न रहे। इसी के तहत अवैध बची कॉलोनियों में यह ड्रोन सर्वे, मार्किंग व जीआईएस का काम होना है। ताकि वैध होने की शर्तें पूरी करने वाली अवैध कॉलोनियों को सरकार द्वारा वैध करवाया जा सके। इससे नगर निगम की जमीनों व उन पर अवैध कब्जों का भी पता लग सकेगा। ऐसी निगम की जमीनों पर तारबंदी कर नगर निगम के बोर्ड लगाए जाएंगे और जहां कहीं भी निगम की जमीनों पर ड्रोन की मदद से अवैध कब्जों का पता लगेगा, वहां कार्रवाई कर अवैध कब्जे हटवाए जाएंगे।ambala coverage बची हुई अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की तैयारी शुरू, निगम ने ड्रोन से कराया सर्वे शुरू
ambala coverage युवाओं को नशे से दूर रखने को लेकर हरियाणा पुलिस की नई पहल