अंबाला (विनय भोला)। इंटीग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी ने निजी स्कूलों के स्टाफ से कोरोना महामारी में जनगणना करवाने को लेकर सरकार के आदेशों पर कड़ा विरोध जताया है। आईपीएसएस के प्रधान सौरभ कपूर ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए यह बताया कि जिला उपायुक्त द्वारा डीईओ के माध्यम से निजी स्कूलों को एक लेटर मेल किया गया है, जिसमें यह लिखा गया है कि 2 दिन के अंदर अंदर सभी निजी विद्यालय अपने अपने स्टाफ का ब्यौरा भेजें, ताकि जनगणना का काम निजी स्कूलों के स्टाफ द्वारा करवाया जा सके।
सौरभ कपूर ने कहा कि सरकार के आदेश सरासर गलत हैं क्योंकि कोरोना महामारी के चलते घर-घर जाकर निजी स्कूलों के स्टाफ द्वारा जनगणना का काम करना खतरे से खाली नहीं है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो प्रदेश में लगातार कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं और सरकार बार-बार जनता से यह कह रही है कि लोग अपने घरों में ही रहे, सोशल डिस्टेंस के नियमों का पालन करें। जिसके कारण सभी स्कूल कॉलेज भी पिछले 3 महीने से बंद हैं तो इसके चलते निजी विद्यालयों के स्टाफ के द्वारा जनगणना का काम करवाना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है।
सौरभ कपूर ने बताया कि लगभग पिछले 3 महीने से स्कूल बंद होने की वजह से अभिभावकों द्वारा सरकार के आदेश के बाद भी ट्यूशन फीस नहीं जमा करवाई गई। जिसके चलते निजी स्कूलों द्वारा स्टाफ को सैलरी भी नही दी गई और सरकार द्वारा निजी विद्यालयों के स्टाफ से जनगणना का काम करवाना एक भद्दा मजाक सा लगता है। आईपीएसएस के प्रधान सौरभ कपूर ने कहा कि जल्दी ही इस मामले को लेकर प्रतिनिधिमंडल डीसी से मिलेगा और एक मांग पत्र के माध्यम से यह आदेश वापस लेने की मांग की जाएगी। इसके बाद भी अगर आदेशों को वापस नहीं लिया जाता तो एसोसिएशन इसके विरोध में आंदोलन भी करेगी। उन्होंने कहा कि जनगणना का कार्य पहले भी सरकारी टीचरों के द्वारा करवाना बंद कर दिया गया है और यह काम प्राइवेट एजेंसियों द्वारा करवाया जाता था, परंतु इस बार निजी विद्यालयों के अध्यापकों को इस कार्य को करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और एसोसिएशन किसी भी कीमत पर इस दबाव में काम करते हुए टीचर्स की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं होने देगी।
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