सत्याग्रह को शुरू करने से पहले हाथरस की मनीषा को मौन श्रधांजलि दी गई.
अध्यापको को संबोधित करते हुए राज्य उप महासचिव प्रभु सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति गैर संविधानिक है क्योंकि यह संविधान में स्वीकृत धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, आरक्षण, संघवाद व विविधता में एकता व शिक्षा अधिकार कानुन का सीधा सीधा उल्लघंन तो करती ही हैं, साथ ही बहुमत की तानाशाही पूर्ण तरीके से पूंजीवादी लूट की छूट, शिक्षा को सांप्रदायिक रंग देते हुए भारत को एक धार्मिक राष्ट्र बनाने की शिक्षा पर केन्द्रीत हैं। उन्होंने आगे बताया कि शिक्षा को केन्द्रीय सूची में डालते हुए, राज्यों के अधिकार लगभग खत्म करने के चलते इसे अस्वीकृत करने को मजबूर हैं।झूठे राष्ट्रवाद के नाम पर राज्यों की शक्ति छिनते हुए राष्ट्र स्तर पर नई एजेंसी बनाई जा रही है, जैसे कि हायर एजूकेशन, कमीशन आफ इण्डिया, राष्ट्रीय अनुसंधान फाऊंडेशन, नैशनल टेस्टिंग एजेंसी, नैशनल एसेसमेंट सैंटर परख, जैसी विविधताओं व राज्यों के अधिकारों को नकारती एकिकृत एजेंसियां अस्वीकृत हैं। अपनी बात रखते हुए जिला सचिव अशोक कुमार सैनी ने बताया कि पूरी शिक्षा नीति वर्तमान स्कूलों के ढा़चे को, जमीन व संसाधनो को बाजार के हवाले कर शिक्षा को प्राईवेट व कार्पोरेट के रहमोकरम पर छोड़ना चाहती हैं। शिक्षानीति को अस्वीकृत करने का कारण यह भी है कि यह शिक्षा को बाजार की खरीद बेच व लाभ कमाने की बस्तु मानती है।जिसके कारण यह बहुत महंगी होगी।जो समता समानता के खिलाफ है।कामन स्कूल सिस्टम के खिलाफ हैं।दबे कुचते, दलित, गरीब व लड़कियों को अच्छी शिक्षा से वंचित करने का काम ही करेगी। यह आरक्षण भी खत्म करने का एक षड़यंत्र है। ambala today news एक तरफ सरकार नई शिक्षा नीति को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही, तो वही इन लोगों ने कहा निजिकरण को बढ़ावा देने वाली नई शिक्षा नीति को वापिस ले सरकार
राज्य उप प्रधान लैक सिंह ने बताया कि शिक्षा नीति सब कुछ प्राईवेट करने के बाद जो लाचार मजबूर लोग बच जाएगे, उनके लिए भी सरकार की जिम्मेदारी फिक्स नहीं करती है, बल्कि उसे प्राईवेट परोपकारी संस्थाओ, सामाजिक कार्यकर्ता, वाल्टियरस, दानवीरों के भरोसे छोड़ने जा रही है, इसलिए यह अस्वीकृत है। इसलिए शिक्षक दिवस काला दिवस मनाया जा रहा हैं। वक्ताओ ने बताया कि मॉडल स्कूलों के नाम पर इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर दाखिला व मासिक फीस थोपने की योजना सरकार द्वारा बनाई जा रही है जोकि निःशुल्क शिक्षा देने के सरकारी दावों की पोल खोलती है। यह शिक्षा नीति आरटीई 2009 के 6-14 उम्र को बढा़कर 3-18 नहीं करती, बल्कि शिक्षा में एक अमूलचूल विनाशकारी प्रतिस्थापन करते हुए शिक्षा अधिकार कानन पर ही अटैक करती हैं,जो बच्चो का मूलभूत अधिकार है।
इस अवसर पर जन शिक्षा अधिकार मंच के जिला संयोजक कुलदीप चौहान, जिला प्रेस सचिव लाभ सिंह, जिला सह सचिव राम निवास सैनी, शुभ राम हैं, जसवंत सैनी, थर्मेंदर, नीरज कुमार, विकास कुमार, सर्वकर्मचारी संघ के जिला सचिव महावीर पाई, राज्य सचिव रविंद्र शर्मा, नरेश सैनी और संदीप सिंह सहित सैंकड़ों अध्यापक उपस्थित रहे। ambala today news एक तरफ सरकार नई शिक्षा नीति को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही, तो वही इन लोगों ने कहा निजिकरण को बढ़ावा देने वाली नई शिक्षा नीति को वापिस ले सरकार