चंडीगढ़- हरियाणा के चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डॉ. अमित सांगवान ने रूस की उरल फेडरल यूनिवर्सिटी द्वारा अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया। ‘इंटरनेशनल साइंटिफिक कान्फ्रैंस ऑन डिजिटलाइजेशन ट्रांसफॉरमेशन चैलेंजिस-ईडी करनच उरल’ में बतौर आमंत्रित वक्ता के रूप में अपने विचार रखते हुए डॉ. अमित सांगवान ने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल करके विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से शिक्षित किया जा सकता है। उन्होंने भारत के उच्चतर शिक्षा स्तर में ऑनलाइन एजुकेशन की वर्तमान स्थिति तथा भविष्य बारे विस्तारपूर्वक बताया। विश्वविद्यालय तथा देश का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ. सांगवान ने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली विश्व की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली है, क्योंकि यहां के पाठ्यक्रम में मानवीय मूल्यों का समावेश है। उन्होंने कहा कि यदि ऑनलाइन शिक्षा की बात की जाए तो गत 6 माह के दौरान लगभग सभी शैक्षणिक संस्थानों ने ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को किसी न किसी रूप में स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक शिक्षा तथा तकनीक का सम्मिश्रण करके विद्यार्थियों का स्वर्णिम विकास किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि भारत में किस प्रकार से प्राचीन काल में तक्षशिला विश्वविद्यालय तथा गुरुकुलों के माध्यम से युवा शक्ति को दिशा व दशा प्रदान की जाती थी। ambala today news तकनीक का इस्तेमाल करके विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से शिक्षित किया जा सकता
डॉ. सांगवान ने कहा कि संसाधनों की कमी होने के बावजूद भी भारत की स्थिति अन्य विकासशील देशों की तुलना में काफी बेहतर है। उन्होंने कहा कि भारत की नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को यदि सही मायने में लागू किया जाता है तो इसके काफी उत्साहवर्धक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि तकनीक अपनाना विद्यार्थी तथा प्राध्यापक दोनों के लिए आवश्यक है। केवल कंप्यूटर खरीदने से या संसाधन एकत्रित करने से काम नहीं चलेगा। यदि युवा शक्ति का सही मायने में विकास करना है तो उन्हें तकनीकी रूप से सुदृढ़ करना समय की मांग है और यह कार्य तब पूर्ण होगा जब शिक्षक भी तकनीकी रूप से दक्ष होंगे। उन्होंने कहा कि भारत के अंदर ऑनलाइन एजुकेशन से संबंधित विभिन्न सॉफ्टवेयर कंपनियों का विश्व का सबसे बड़ा बाजार उपलब्ध है और यदि ये कंपनियां भारत के अंदर निवेश करती हैं तो युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। उन्होंने शोध के क्षेत्र में भी वैचारिक तथा शैक्षणिक आदान-प्रदान हेतु विश्वभर के शैक्षणिक संस्थानों के बीच सांझा करार-पत्र की संभावनाओं पर भी जोर दिया। कान्फ्रैंस में हावर्ड यूनिवर्सिटी, एचएससी यूनिवर्सिटी, बुल्गारिया विश्वविद्यालय सहित विश्वभर के शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ambala today news तकनीक का इस्तेमाल करके विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से शिक्षित किया जा सकता