ambala today newsग्रीष्मावकाश के दौरान प्रकृति के संवरे स्वरूप को सहेजने को प्रयासरत हैं बच्चे: डॉ. सोनिका

अंबाला राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, मेन ब्रांच, अंबाला छावनी की हिंदी प्राध्यापिका डॉ. सोनिका ने बताया कि
कोविड 19 के दौरान लॉक डाउन के कारण पर्यावरण प्रदूषण में कमी आई , प्रकृति का स्वरूप निखरा है। परन्तु अनलॉक वन की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण का बढ़ता स्तर भी सरेआम दिखने लगा। बच्चों से चर्चा की गई और प्रकृति के संवरे स्वरूप को सहेजने के लिए अपने योगदान पर एकमत निर्णय लिया गया कि सभी अपने अपने घर पर उपलब्ध साधनों का प्रयोग करते हुए पौधारोपण करेंगे। फलों के बीज कूड़े में फेंकने की बजाए जहां भी कच्ची जगह दिखे रोप देंगे। डॉ. सोनिका ने कहा कि बच्चों के मन मस्तिष्क में प्रकृति से जुड़ाव को बचपन से संस्कार के रूप में बिठाया जाना जरूरी है। प्रकृति से हम हैं हम से प्रकृति नहीं , सिखाने के लिए प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी गृहकार्य के रूप में पौधारोपण व उनके संरक्षण का कार्य दिया गया जिसे बच्चों ने सहर्ष पूर्ण भी किया।
 कोरोनावायरस जैसी वैश्विक माहामारी के कारण विद्यालय बन्द हैं परन्तु घर से पढ़ाओ अभियान ज़ोर शोर से चल रहा है। इस दौरान    छात्रों को विद्यालय में एकत्र नहीं कर सकते थे। अतः वॉट्सएप ग्रुप व कॉल के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के लिए छोटे छोटे प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। जून जुलाई का समय पौधारोपण के लिए अत्यंत उपयुक्त समय रहता है। अतः घर रहते हुए ही पौधे भी तैयार किए गए और बच्चों को माहामारी से भी बचाने में कामयाब रहे। जैसे ही कोरोनावायरस का प्रकोप कम हो जाएगा तुरन्त पौधे जमीन में रोप दिए जाएंगे, ऐसा संकल्प बच्चों द्वारा किया गया है।

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