अमित अठवाल
अंबाला कवरेज@ अंबाला। हरियाणा सरकार ने 134ए खत्म करते हुए आरटीई तो लागू कर दी, लेकिन कई ऐसे सवाल है, जिसका जवाब प्रत्यक्षतौर पर अभी तक सरकार की तरफ से नहीं दिया गया है और निश्चततौर पर आने वाले समय में इसी लेटरों के चक्कर में उलझे निजी स्कूल संचालकों को मुफ्त में बच्चे पढ़ाने के बावजूद भी रिइंबसमेंट मिलेगी या नहीं, यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। आरटीई के प्रावधानों के अनुसार वह पहली क्लास से लागू होती है और आठवीं तक लागू रहती है। ये ही कारण है कि अभी तक जिन भी निजी स्कूलों में नौवी से लेकर 12 वीं तक मुफ्त एजुकेशन हासिल कर रहे बच्चे की रिइंबसमेंट पिछले 13 सालों में एक बार भी नहीं मिल पाई है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या अब नर्सरी से बच्चों को आरटीई का हवाला देते हुए एडमिशन देने पर रिइंबसमेंट दी जाएगी? ambala big news आरटीई में नर्सरी से दी एडमिशन तो क्या मिलेगी रिइंबसमेंट, आरटीई में पहली से प्रावधान?
अंबाला कवरेज टीम द्वारा जुटाए तथ्यों की यह बात तो साफ है कि हरियाणा शिक्षा विभाग बार बार यह तर्क देता है कि वह स्कूल केवल पहली क्लास से शुरू होने वाले को मानता है। अब सवाल यह है कि आरटीई के तहत यदि निजी स्कूल नर्सरी से 25 प्रतिशत बच्चों को मुफ्त एडमिशन देते हैं तो क्या सरकार आरटीई के नियमों के अनुसार स्कूल संचालकों को रिइंसबमेंट देगी। अगर स्कूल आरटीई के नियमों के अनुसार रिइंबसमेंट मांगते हैं तो वह तो केवल पहली क्लास से 8 वीं क्लास तक लागू होती है। ये ही कारण है कि सालों बीत जाने के बाद भी स्कूल संचालकों को 134 ए के तहत जिन बच्चों को 9वीं से 12 वीं तक एडमिशन दिया गया था, उन बच्चों को पढ़ाने की एवज में आज तक स्कूल संचालकों को कोई रिइंसबमेंट नहीं मिली। क्योंकि आरटीई में 9 वीं से 12 वीं तक रिइंबसमेंट का कोई प्रावधान नही है। अब सवाल यह भी उठाता है कि कहीं अब भी नर्सरी से एडमिशन देने वाले स्कूलों को पहली क्लास में बच्चे के पहुंचने के बाद रिइंबसमेंट मिलनी शुरू हो। ambala big news आरटीई में नर्सरी से दी एडमिशन तो क्या मिलेगी रिइंबसमेंट, आरटीई में पहली से प्रावधान?
यहां हम आपको बता दें कि शिक्षा विभाग की तरफ से जारी किए गए लेटर के अनुसार स्कूल की पहली क्लास जहां से शुरू होती है वहीं से आरटीई के तहत एडमिशन देने के लिए कहा गया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि जब एक्ट में नर्सरी में एडमिशन देने पर रिइंबसमेंट का प्रावधान नहीं तो ऐसे में सरकार भी किस नियम के तहत पेमेंट देगी। यह अलग बात है कि सरकार नियमों में यानि एक्ट में बदलाव करें। पर सरकार अपने खाते में तीन अन्य क्लासें क्यों डालेगी। ऐसे में चचार्एं यह भी है कि यदि स्कूल बाद में कोर्ट में भी जाते हैं तो नियमों में नर्सरी में पेमेंट देने का प्रावधान न होने के कारण मायूसी मिल सकती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह है कि स्कूलों को सालों बाद भी नौवीं से 12 वीं तक मुफ्त पढ़ाने वाले बच्चों को लेकर कोई पेमेंट नही मिली। ambala big news आरटीई में नर्सरी से दी एडमिशन तो क्या मिलेगी रिइंबसमेंट, आरटीई में पहली से प्रावधान?