अंबाला कवरेज @ निखिल सोबती। हरियाणा के प्राइवेट स्कूल संचालक को शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गया एक नोटिस से कुछ राहत मिलती नजर आ रही है। हरियाणा सरकार ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया था कि यदि कोई बच्चा प्राइवेट स्कूल से सरकारी स्कूल में आना चाहता है तो उसे स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) की कोई जरूरत नही है। जिसके बाद निजी स्कूल संचालकों को सबसे ज्यादा प्रोब्लम यह हो गई थी कि यदि बिना एसएलसी के सरकारी स्कूलों में एडमिशन मिलता है तो उसके कोरोना काल के दौरान की फीस रिक्वरी करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। निजी स्कूल संचालकों ने उसका विरोध भी किया, लेकिन सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला, जिसके बाद अब हाईकोर्ट द्वारा दिए गए अपने फैसले के बाद निजी स्कूल संचालकों को बड़ी राहत मिली है।
सरकार द्वारा लिए गए फैसले के बाद सर्व हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सेठी ने एडवोकेट सुशील नागपाल ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। चंडीगढ़ के एडवोकेट पंकज मैनी के माध्यम से हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका में प्राइवेट स्कूल संचालक ने तर्क दिया कि शिक्षा नियमावली 2003 की बिंदू 136 व 139 के अनुसार बिना एसएलसी के किसी भी बच्चे को स्कूल में एडमिशन नहीं दिया जा सकता। वहीं एडवोकेट मैनी ने कोर्ट को यह भी बताया कि सरकार 10 मार्च 2021 को एक लेटर निकाला और उसको आधार बनाकर बिना निजी स्कूल की परमिशन के पॉर्टल पर खुद ही बदलाव करते रहे। उन्होंने कोर्ट के सामने रखा कि कोरोना के कारण निजी स्कूल संचालकों को पहले ही फीस नहीं आ रही है और सरकार के इस फैसले के बाद फीस आने की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी और स्कूल को वित्तीय नुकसान होगा। जिसके बाद कोर्ट ने सरकार द्वारा निकाले गए बिना एसएलसी के एडमिशन के आदेशों पर स्टे देते हुए अगली तारीख 28 अक्टूबर निर्धारित की है। फिलहाल कोर्ट के स्टे के बाद यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि अब अभिभावकों को निजी स्कूल से सरकारी स्कूल में भी जाने के लिए स्कूलों की फीस देनी होगी।