अंबाला कवरेज @ अमित अठवाल। अंबाला शहर मॉडल टाउन में स्थित सेंट पॉल स्कूल द्वारा फीस न दिए जाने के कारण बच्चों का नाम काट दिए जाने का मामला आखिर 9 घंटे चली मीटिंग के बाद सुलझ गया। आपसी सहमति के बाद अभिभावकों ने कहा कि वह फीस जमा करवाएंगे और वहीं स्कूल प्रबंधन ने कहा कि वह किसी बच्चे का नाम नहीं काटेंगे। आखिर एक बार फिर बच्चों के भविष्य को देखते हुए स्कूल संचालकों व अभिभावकों ने आपसी सहमति से विवाद शांत किया। इस विवाद को शांत करने में अंबाला के डीईओ सुरेश कुमार व आफिस क्लर्क राजकुमार राणा ने भी अहम भूमिका निभाई और अभिभावकों व स्कूलों को आपस में बिठाकर मामले को सुलझाने में मदद की। फिलहाल दोनों पक्षों में आपसी लिखित समझौता हो गया है और अभिभावकों ने भी वायदा किया कि वह आगे से समय पर फीस देंगे।
अंबाला शहर मॉडल टाउन स्थित सेंट पॉल स्कूल प्रबंधक कमेटी ने फीस न देने वाले करीब कई बच्चों का नाम काट दिया था और आॅन लाइन क्लासें बंद कर दी थी। नियमों का हवाला देते हुए स्कूल संचालकों ने अभिभावकों को फीस जमा करवाने के लिए लेटर लिखा और बकायदा रिमांइडर भी दिए, लेकिन जब अभिभावकों की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो शिक्षा नियमावली के अनुसार स्कूल संचालकों ने जुलाई में बच्चों के नाम काट दिए और आॅन लाइन क्लासें बंद कर दी। जिसके विरोध में अभिभावकों ने डीईओ सुरेश कुमार को लिखित में शिकायत दी और बच्चों की आॅन लाइन क्लास शुरू करने का आग्रह किया।
डीईओ सुरेश कुमार ने दोनों पक्षों को आज सुनवाई के लिए बुलाया था। इस दौरान स्कूल की तरफ से सेंट पॉल स्कूल प्रिंसिपल रुचि माकिन व मैनेजेर रवि चाल्स पहुंचे। वहीं स्कूल एसोसिएशन की तरफ से भी प्रशांत मुंजाल और सौरभ कपूर मौजूद रहे। इस दौरान अभिभावक कोविड नियमों का हवाला देते हुए फीस जमा न करवाने पर अड़े थे, जबकि स्कूल संचालकों का तर्क था कि वह फीस भी नहीं लेना चाहते और उन्होंने इस बच्चों के नाम काट दिए और ऐसे में वह स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट लेकर आए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीईओ सुरेश कुमार व क्लर्क राजकुमार ने मिलकर अभिभावकों व स्कूल संचालकों को बिठाया और बातचीत करवाई। करीब 9 घंटे चली बातचीत के बाद अभिभावक फीस जमा करवाने के लिए तैयार हो गए तो वहीं दूसरी तरफ बच्चों के भविष्य को देखते हुए स्कूल प्रबंधक ने भी काटी गई एसएलसी को वापस लेने का फैसला किया। फिलहाल दोनों पक्षों में समझौता हो चुका है और अभिभावकों ने विश्वास दिलाया कि आगे वह समय पर फीस जमा करवाते रहेंगे। इस पूरे मामले को निपटाने में जहां डीईओ ने सूझबूझ से काम किया तो वहीं स्कूल व अभिभावकों की आपसी सहमति से यह मामला निपट पाया।