अम्बाला कवरेज @अम्बाला, 24 नवम्बर नंबर 5 स्क्वाड्रन एएफ, जिसे टस्कर्स के नाम से भी जाना जाता है, ने सेवा के पचहत्तर गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए, स्क्वाड्रन ने आज वायु सेना स्टेशन अंबाला में अपनी प्लेटिनम जयंती मनाई।समारोह में सेवारत कर्मियों और दिग्गजों ने भाग लिया, जिन्होंने स्क्वाड्रन के पूरे गौरवशाली इतिहास में सेवा की थी। इस अवसर पर स्क्वाड्रन के कमोडोर कमांडेंट एयर मार्शल तेजिंदर सिंह द्वारा एक विशेष पोस्टल कवर जारी किया गया। उन्होंने बताया कि यह उन सभी को श्रद्धांजलि थी जिन्होंने स्क्वाड्रन की समृद्ध विरासत के निर्माण में योगदान दिया था। इस अवसर पर 5 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर एम पी वर्मा ने समारोह में आए गणमान्य अतिथियों, दिग्गजों व वायु सेना के परिजनों को अपने स्वागत संबोधन में शुभ कामनाएं दी। इस समारोह के दौरान, दर्शकों ने सूर्यकिरण एरोबेटिक्स टीम,आकाशगंगा पैरा-डाइविंग टीम, राफेल और जगुआर विमान संरचनाओं द्वारा शानदार एयर डिस्पले का आनंद लिया।एयर मार्शल तेजिंदर सिंह ने 5 स्क्वाडर्न के ऐतिहासिक पहलुओं की जानकारी देते हुए कहा कि टस्कर्स का जन्म 02 नवंबर, 1948 को कानपुर में विंग कमांडर जेआरएस डैनी डेंट्रा के नेतृत्व में हुआ, जो बी-24 लिबरेटर भारी बमवर्षक विमान से सुसज्जित थे। स्क्वाड्रन आकाशीय सुरक्षा करने और राष्ट्र के सम्मान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण रहा है, चाहे वह कांगो में ऑपरेशन हो, पाकिस्तान के साथ 1965 का युद्ध हो या बांग्लादेश की मुक्ति के लिए 1971 का युद्ध हो।ambala coverage एयर फोर्स स्टेशन अंबाला में नं. 5 स्क्वाड्रन का प्लैटिनम जयंती समारोह
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1961 में, संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में, कांगो में ऑपरेशन के दौरान, 5 स्क्वाड्रन ने कैनबरा लंबी दूरी के हमले वाले विमान का संचालन किया। इस प्रकार की अनोखी क्षमता केवल इसी विमान ने संयुक्त राष्ट्र को उसके सैन्य मिशन के लिए प्रदान की थी, 5 स्क्वाड्रन, संयुक्त राष्ट्र मिशन में तैनात होने वाला भारतीय वायुसेना का एकमात्र लड़ाकू स्क्वाड्रन भी है, 1965 के युद्ध के दौरान, आक्रामक भूमिका वाली 5 स्क्वाड्रन ने कैनबरा विमान के साथ सरगोधा और पेशावर हवाई क्षेत्र पर कम से कम छह बार हमला किया, 1965 के युद्ध के दौरान उत्कृष्ट सेवाओं के लिए, स्क्वाड्रन कर्मियों को एक महावीर चक्र (एमवीसी), चार वीर चक्र (वीआरसी) और तीन वायु सेना मेडल (वीएसएम) से सम्मानित किया गया। स्क्वाड्रन को 1971 में तीसरी बार युद्ध में नियुक्त किया गया और उसने सरगोधा, चंदर और रिसालेवाला में पीएएफ ठिकानों पर धावा बोलते हुए दुश्मन के इलाके में काफी अंदर तक हमला किया। अगस्त 1981 के पहले दिन टस्कर्स को अंबाला में डीप पेनेट्रेशन स्ट्राइक सक्षम विमान, ‘जगुआर’ से फिर से सुसज्जित किया गया। जुलाई 1988 में, 5 स्क्वाड्रन ने श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के समर्थन में ऑपरेशन पवन में भाग लिया।पिछले कुछ वर्षों में, टस्कर्स ने कोप थंडर, रेड फ्लैग 2014 और कोप इंडिया-2018 जैसे विदेशी वायु सेनाओं के साथ विभिन्न अभ्यासों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय वायुसेना का प्रतिनिधित्व करते हुए असाधारण व्यावसायिकता प्रदर्शित करके अपनी क्षमता साबित की है। टस्कर्स उन्नत जगुआर विमान उड़ाकर भारतीय वायुसेना की गहरी पैठ वाली स्ट्राइक फोर्स का नेतृत्व करना जारी रखे हुए हैं। टस्कर्स ने हमेशा लड़ाई में दुश्मन के इलाके में गहराई तक जाने के लिए और सटीकता के साथ जोरदार हमला करने के लिए, स्क्वाड्रन के आदर्श वाक्य शक्ति विजयते जिसका अर्थ है शक्ति ही जीत है, को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना जारी रखा है। ambala coverage एयर फोर्स स्टेशन अंबाला में नं. 5 स्क्वाड्रन का प्लैटिनम जयंती समारोह
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