अमित कुमार
अंबाला कवरेज @ अंबाला। ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में “बज़्म ए फ़रोग़ ए फ़न ओ अदब ऑस्ट्रेलिया” के तत्वावधान में एक विशेष कार्यक्रम ” एक शाम नफ़स अम्बालवी के नाम” का आयोजन किया गया जिसमें उर्दू के जाने माने शायर डॉ नफ़स अम्बालवी को उत्कृष्ट उर्दू शायरी के लिए “रिकॉगनीशन अवॉर्ड” से नवाज़ा गया।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ नफ़स अम्बालवी रहे। देश और विदेशों में आयोजित अनेक उर्दू मुशायरों में भाग ले चुके नफ़स अम्बालवी का विदेशी धरती पर ये पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इससे पहले उन्हें भारत में उत्कृष्ट उर्दू शायरी की पुस्तक के लिए हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा कई बार अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 1992 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी ज़ैल सिंह जी द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। डॉ नफ़स अम्बालवी ने इस सम्मान के लिए “बज़्म ए फ़रोग़ ए फ़न ओ अदब ऑस्ट्रेलिया” का और खास तौर पर संस्था के अध्यक्ष जनाब अख्तर अली साहब का शुक्रिया अदा किया। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपने शालीन और भावनात्मक भाषण में कहा कि आज ये केवल मेरा ही सम्मान नहीं है बल्कि मेरे साथ मेरे शहर अम्बाला, हरियाणा राज्य और भारत में हो रही उर्दू शायरी के चाहने वालों का भी सम्मान है। उन्होंने अपने शहर अम्बाला की तरफ से सिडनी के तमाम उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और साहित्यकारों का शुक्रिया भी अदा किया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संस्था के अध्यक्ष जनाब अख़्तर अली साहब ने डॉ नफ़स अम्बालवी का संपूर्ण साहित्यिक जीवन परिचय पर एक रौशनी डाली। उसके बाद एक पावर पॉइंट पेशकश के द्वारा उन्होंने हिंदुस्तान में उर्दू ज़बान ओ अदब पर रौशनी डालते हुए भारत की कई विश्वविख्यात उर्दू साहित्य की हस्तियों का भी उल्लेख किया जिन्होंने उर्दू अदब की दुनिया में अपनी शायरी का लोहा मनवाया है। उनमें ख़ास तौर पर प्रोफेसर गोपीचंद नारंग, जनाब ओम कृष्ण राहत, जनाब शादाब भटनागर, जनाब गुलज़ार देहलवी और कई अज़ीम अदबी हस्तियों का जिक्र शामिल था।
अंबाला कवरेज @ अंबाला। ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में “बज़्म ए फ़रोग़ ए फ़न ओ अदब ऑस्ट्रेलिया” के तत्वावधान में एक विशेष कार्यक्रम ” एक शाम नफ़स अम्बालवी के नाम” का आयोजन किया गया जिसमें उर्दू के जाने माने शायर डॉ नफ़स अम्बालवी को उत्कृष्ट उर्दू शायरी के लिए “रिकॉगनीशन अवॉर्ड” से नवाज़ा गया।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ नफ़स अम्बालवी रहे। देश और विदेशों में आयोजित अनेक उर्दू मुशायरों में भाग ले चुके नफ़स अम्बालवी का विदेशी धरती पर ये पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इससे पहले उन्हें भारत में उत्कृष्ट उर्दू शायरी की पुस्तक के लिए हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा कई बार अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 1992 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी ज़ैल सिंह जी द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। डॉ नफ़स अम्बालवी ने इस सम्मान के लिए “बज़्म ए फ़रोग़ ए फ़न ओ अदब ऑस्ट्रेलिया” का और खास तौर पर संस्था के अध्यक्ष जनाब अख्तर अली साहब का शुक्रिया अदा किया। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपने शालीन और भावनात्मक भाषण में कहा कि आज ये केवल मेरा ही सम्मान नहीं है बल्कि मेरे साथ मेरे शहर अम्बाला, हरियाणा राज्य और भारत में हो रही उर्दू शायरी के चाहने वालों का भी सम्मान है। उन्होंने अपने शहर अम्बाला की तरफ से सिडनी के तमाम उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और साहित्यकारों का शुक्रिया भी अदा किया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संस्था के अध्यक्ष जनाब अख़्तर अली साहब ने डॉ नफ़स अम्बालवी का संपूर्ण साहित्यिक जीवन परिचय पर एक रौशनी डाली। उसके बाद एक पावर पॉइंट पेशकश के द्वारा उन्होंने हिंदुस्तान में उर्दू ज़बान ओ अदब पर रौशनी डालते हुए भारत की कई विश्वविख्यात उर्दू साहित्य की हस्तियों का भी उल्लेख किया जिन्होंने उर्दू अदब की दुनिया में अपनी शायरी का लोहा मनवाया है। उनमें ख़ास तौर पर प्रोफेसर गोपीचंद नारंग, जनाब ओम कृष्ण राहत, जनाब शादाब भटनागर, जनाब गुलज़ार देहलवी और कई अज़ीम अदबी हस्तियों का जिक्र शामिल था।
edited by alka rajput