अमित कुमार
अंबाला कवरेज @ अंबाला। संगीत गायन विभाग ने 16 अप्रैल 2025 को सनातन धर्म कॉलेज, अंबाला कैंट द्वारा “भारतीय संगीत में ताल का महत्त्व” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में श्री हेम भारद्वाज ने विद्यार्थियों को ताल का महत्त्व विस्तार से समझाया। उन्होंने विभिन्न प्रकार की तालों का प्रयोग करते हुए यह भी बताया कि गीत के कला एवं भाव पक्ष को ध्यान में रखकर किस प्रकार उपयुक्त ताल का चयन किया जा सकता है। इस अवसर पर छात्रों ने बड़ी रुचि और उत्साह के साथ भाग लिया। कार्यशाला में लगभग 30 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। कार्यशाला की संयोजिका डॉ. मधु शर्मा ने छात्रों की रुचि शास्त्रीय संगीत में बढ़ाने के लिए कहा कि शास्त्रीय संगीत मन और आत्मा का संगीत हैऔर शास्त्रीय संगीत के प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि शास्त्रीय संगीत मानव मस्तिष्क और मन की शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। उन्होंने यह भी बताया कि आज के दौर में जन-मानस की मानसिक शांति के लिए इस प्रकार के संगीत का अभ्यास और प्रचार-प्रसार अत्यंत आवश्यक है। कार्यशाला के समापन अवसर पर प्राचार्या डॉ. अल्का शर्मा ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि संगीत गायन विभाग द्वारा किए जा रहे इस प्रकार के प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने भविष्य में भी ऐसे आयोजन करते रहने की प्रेरणा दी।
अंबाला कवरेज @ अंबाला। संगीत गायन विभाग ने 16 अप्रैल 2025 को सनातन धर्म कॉलेज, अंबाला कैंट द्वारा “भारतीय संगीत में ताल का महत्त्व” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में श्री हेम भारद्वाज ने विद्यार्थियों को ताल का महत्त्व विस्तार से समझाया। उन्होंने विभिन्न प्रकार की तालों का प्रयोग करते हुए यह भी बताया कि गीत के कला एवं भाव पक्ष को ध्यान में रखकर किस प्रकार उपयुक्त ताल का चयन किया जा सकता है। इस अवसर पर छात्रों ने बड़ी रुचि और उत्साह के साथ भाग लिया। कार्यशाला में लगभग 30 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। कार्यशाला की संयोजिका डॉ. मधु शर्मा ने छात्रों की रुचि शास्त्रीय संगीत में बढ़ाने के लिए कहा कि शास्त्रीय संगीत मन और आत्मा का संगीत हैऔर शास्त्रीय संगीत के प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि शास्त्रीय संगीत मानव मस्तिष्क और मन की शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। उन्होंने यह भी बताया कि आज के दौर में जन-मानस की मानसिक शांति के लिए इस प्रकार के संगीत का अभ्यास और प्रचार-प्रसार अत्यंत आवश्यक है। कार्यशाला के समापन अवसर पर प्राचार्या डॉ. अल्का शर्मा ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि संगीत गायन विभाग द्वारा किए जा रहे इस प्रकार के प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने भविष्य में भी ऐसे आयोजन करते रहने की प्रेरणा दी।
edited by alka rajput