अमित कुमार
अंबाला कवरेज@ अंबाला। आज भी स्वामी दयानंद गिरी जी का जन्मदिन मनाते है उनके भगत। स्वामी जी की वैसे तो सारे भारत वर्ष में ही कई कुटिया हैं पर अंबाला शहर में घैल रोड पर ये स्थान विरक्त कुटिया के नाम से जाने जाना वाला विशेष स्थान है। जब स्वामी जी आते थे तो यहां पर कई दिनों तक तपस्या करने के लिए एक बोरी पर बैठकर एक छोटे से पुरानी ईंट से बने कमरे में ही रहते थे। अनेकों श्रद्धालु दूर दराज से आकर उनके दर्शन करते थे।स्वामी जी तीन घरों से तीन रोटी लेते थे और एक वक्त ही भोजन करते थे। ना ही वो किसी को ज्यादा अपने पास बैठने देते थे। स्वामी जी को अंग्रेजी,हिंदी,उर्दू,पंजाबी, गुजराती,संस्कृत,आदि कई भाषाओं का ज्ञान था उन्होंने कई आध्यात्मिक ग्रंथ लिखे ।कहते है कि वो ज्यादातर पैदल ही यात्रा करते थे।उनकी जरूरतें भी कम से कम थी। आज भी अंबाला शहर के वासी उनको याद करते है उनकी राह पर ही उनके शिष्य स्वामी गोबिंद जी महाराज चल रहे है जो कि ज्ञान का भंडार है। उनके 106वे जन्मदिन पर विरक्त कुटिया में देसी घी के प्रसाद का भंडारा लगाया जिसमें उनके भगत देवी दास शर्मा जी,सर्व धर्म समाज कल्याण सोसाइटी अंबाला शहर के प्रधान सेवक कृष्ण गोपाल धीमान,धर्मवीर जी,चमन लाल,अनिल शर्मा,बलदेव राज दीपक गुप्ता,और रोशन लाल नरवाल ,राजिंदर शर्मा आदि ने सेवा दे कर पुण्य कार्य किया।
Ambala Coverage News विरक्त कुटिया में स्वामी दयानंद गिरी 106 वां जन्मदिन मनाया
