अंबाला कवरेज। हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट की नेत्री चित्रा सरवारा ने कहा कि पुलिस द्वारा किसानों पर आंसू गैस छोड़ने,वाटर केनन से बौछारे करना व झूठे मुकदमे दर्ज करके सरकार आंदोलन को कुचलने की नाकाम कोशिश कर रही हैं।किसान आंदोलन पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चित्रा ने कहा की आज 3 नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की गिरफ्तारी की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए किसानों की मांगों को खुला समर्थन देते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा आन्दोलन किसानों का संवैधानिक अधिकार है। सरकार उनके इस अधिकार को छीनने का काम कर रही है। सरकार द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे किसान आंदोलन को दबाना तानाशाही है। शांतिपूर्वक जो किसान दिल्ली जा रहे थे उन पर पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़ने व इस कोरोना महामारी में पानी के टैंकरों द्वारा पानी की बौछार करने व सैकड़ों किसान नेताओं को गिरफ्तार करके सरकार अपनी हठधर्मिता दिखा रही है।
चित्रा ने कहा कि दिल्ली जा रहे किसानों को पुलिस द्वारा बल से रोकने व किसानो पर झूठे मुकदमे बनाकर सरकार द्वारा किसानों पर दमनकारी कार्रवाई की जा रही है जो अंग्रेजी शासन की याद दिलाता है। तीन कृषि कानून का किसानों द्वारा भारी विरोध को देखते हुए सरकार बौखलाहट में किसानों की आवाज दबाने में लगी हुई है। देश व प्रदेश का किसान सरकार के षड्यंत्र को पहचान चुका है। कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन लंबे समय से चल रहा है।
चित्रा ने कहा कि तीन कृषि कानून केंद्र सरकार द्वारा अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाये गए है। इस कृषि कानून से देश व प्रदेश का किसान,आढ़ती व मजदूरों को बड़ा भारी नुकसान होगा। इन काले कानून का विरोध हरियाणा के साथ-साथ पूरे देश में हो रहा है। चित्रा ने कहा कि दिल्ली के आंदोलन में हिस्सा लेने जा रहे किसानों को रोकने के लिए देश व प्रदेश में चारों तरफ बॉर्डर सील करने से यह साफ सिद्ध हो जाता है की सरकार किसान आंदोलन से डरी हुई है। आंदोलन को कुचलने के लिए प्रदेश में कई जिलों में धारा 144 लागू करके किसानों को नाजायज तंग किया जा रहा है जबकि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन करने का अधिकार है मगर यह सरकार बार-बार किसान,आढ़ती,कर्मचारी, मजदूर व आम जनता की आवाज बंद करने के लिए ओछे हथकंडे अपनाने में लगी हुई है। जिसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। जब तक केंद्र सरकार तीन कृषि कालें कानून को वापस नहीं लेती तब तक देश व प्रदेश के किसान,आढ़ती व मजदूरों का आंदोलन प्रदेश में जारी रहेगा।
चित्रा सरवारा ने कहा कि किसानों की मांगें उचित और जायज हैं, सरकार इन मांगों को तुरंत स्वीकार करे और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे। समर्थन मूल्य की गारंटी के बगैर किसी क़ानून का कोई औचित्य नहीं। देश भर के किसान 3 नये किसान विरोधी कानूनों का विरोध कर रहे हैं। हमारे किसानों को दो मंडी का सिस्टम स्वीकार्य नहीं है। आज सारे देश का किसान चिंताग्रस्त है कि उसकी फसल का क्या होगा। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि वो किसान की आय दोगुनी करने की बात कर रही है। लेकिन, किसान की आय दोगुनी करने के 2 ही तरीके हैं। पहला, या तो किसान को उसकी फसल का दोगुना भाव मिले और दूसरा, फसल उत्पादन दोगुना हो। सरकार दोगुना भाव तो दे ही नहीं रही उलटे खरीद पर सीमा निर्धारित कर दी है। दोगुने उत्पादन का तो कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने यह भी जोड़ा कि दुनिया का ये पहला ऐसा देश है जहाँ सरकार किसान को प्रोत्साहित करने की बजाय तरह-तरह के हथकंडे अपना कर किसान को हतोत्साहित कर रही है। चित्रा सरवारा ने कहा कि आज किसान अपनी फसल बेचने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहा है। प्रदेश की मंडियों में अघोषित रूप से खरीद बंद है। सरकार और खरीद एजेंसियां तरह-तरह के बहाने बना रही हैं। टोकन काटने के बावजूद कपास और बाजरा किसानों को टरकाया जा रहा है। कड़ी मेहनत से उपजाई किसानों की फसल खुले में पड़ी हुई है। जिसको लेकर किसान चिंतित हैं और मंडियों में किसानों के रोष-प्रदर्शन के साथ मंडी गेटों पर ताला जड़ने की नौबत आ रही है।