अंबाला कवरेज @ अमित अठवाल। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज की सरकार से नाराजगी की खबर कई राष्ट्रीय अख़बारों की सुर्ख़ियों में है। विज के चिट्ठी से सीएमओ में हड़कंप जैसी हेडलाइन के साथ छपी ख़बरों से राजनैतिक गलियारों में हल्ला मच गया और ऐसा पहली बारी नहीं हुआ जब विज की सरकार के प्रति नाराजगी की खबर सामने आई हो। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज की इस खबर पर अब खुद अनिल विज का ब्यान सामने आया है। अपने ब्यान में विज ने साफ़ कह दिया है की मैंने मुख्यमंत्री को कोई चिट्ठी नहीं लिखी और मेरी सरकार है और कोई अपनी सरकार से नाराज नहीं होता।
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सीएमओ कार्यालय के बीच नाराजगी की खबर राष्ट्रीय अखबारों की सुर्खियां बनी हुई हैं। ख़बरों में विज की अधिकारियों के प्रति नाराजगी की बात सामने आई है। विज से जब इसको लेकर सवाल किया गया तो विज ने साफ़ कहा की उन्होंने मुख्यम्नत्री को कोई चिट्ठी नहीं लिखी , विज ने कहा की बार बार मेरे सामने ये प्रश्न मत लाया करो, मेरी किसी से कोई नाराजगी नहीं होती है। विज ने स्पष्ट किया की उन्होंने चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा है क्योंकि अगर अधिकारी काम नहीं करते तो इसके लिए पत्र लिखना आम बात है । विज ने कहा इससे ये निष्कर्ष निकालना कि कोई नाराज है ये बेमानी बात है।
विज ने कहा ये मेरी सरकार है , मैं अपनी सरकार से कैसे नाराज हो सकता हूँ । अनिल विज के जनता दरबार न लगाने पर भी विज ने जवाब दिया और कहा की कैंप का मतलब लोगों की समस्या हल करना है लेकिन अब मुख्यमंत्री हर जिले में खुद जा रहे है तो कैंप लगाने की जरूरत नहीं है। विज से जब पुछा गया की क्या आपकी नाराजगी अधिकारियों के काम ना करने को लेकर है तो विज ने कहा की जब कोई काम नहीं करता तो बीच बीच में कार्यवाई करनी भी पड़ती है और सरकार इसी लिए बनी हुई है की अधिकारियों से काम लिया जाये। अंत में विज ने यह भी साफ़ कर दिया की उन्होंने अपनी चिट्ठी में किसी अधिकारी पर कार्यवाई की कोई सिफारिश नहीं की।
यूपी सरकार ने अतीक अहमद का गुरुग्राम में कारोबार बताया गया है जिस पर गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि जो उत्तर प्रदेश के आदेश होंगे उस पर सख्त कार्रवाई करेंगे। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करने के लिए कहा है जिस पर विज ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हुड्डा साहब तो मुख्यमंत्री रह चुके है लेकिन उनका स्तर आम आदमी से भी नीचे का है। उनको पता होना चाहिए कि जो वित्तीय स्थिति है उसकी गाइडलाइन केंद्र सरकार ने तय कर रखी है वो उन्ही अंतर्गत है।