अंबाला कवरेज। @ अंबाला। अंबाला नगर निगम में एक बार फिर सत्ता और विपक्ष का खुला खेल देखने को मिल सकता है। अंबालना नगर निगम के आयुक्त वैसे तो हमेशा नगर निगम में व्यवस्था सुधार के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं और ऐसे में अंबाला की जनता ने उन्हें निगम आयुक्त को ईमानदार व बेहद स्वच्छ छवि की मेयर शक्तिरानी शर्मा दी, लेकिन आखिर क्या कारण है कि नगर निगम आयुक्त शक्तिरानी शर्मा के साथ सहयोग करने को तैयार नहीं। सरकार की तरफ से इशारा है या फिर कोई ओर बात है, लेकिन यह पूरी तरह साफ है कि यदि नगर निगम आयुक्त व मेयर के बीच सीधा टकराव होता है तो कही न कहीं अंबाला का विकास प्रभावित होगा और भाजपा सरकार सबका साथ सबका विकास का जो नारा देती है वह भी टूटता हुआ नजर आ रहा है। अंबाला नगर निगम के चुनाव होने के बाद निश्चिततौर पर पार्षदों को पहली बैठक का इंतजार होता है। पंचकूला में भाजपा का मेयर बना है और वहां पर मात्र कुछ ही दिन में हाउस की बैठक हो गई, लेकिन यहां पर मेयर शक्तिरानी शर्मा नगर निगम आयुक्त डॉ. पार्थ गुप्ता को लेटर लिखती है कि हाउस की बैठक बुलाई जाए, लेकिन निगम आयुक्त लेटर का जवाब तक नहीं देते। वहीं दूसरी तरफ रिमांडर दिया जाता है और फिर भी जवाब नहीं आता। अब जब मेयर शक्तिरानी शर्मा अपनी पावर का प्रयोग करते हुए हाउस की बैठक बुलाते हुए 18 फरवरी को हाउस की बैठक रखकर पार्षदों ही सहमति से निगम आयुक्त को लेटर लिखती है तो वह जवाब देते हैं कि मुझे बैठकर के बारे में पता नहीं। सवाल यह है कि आखिर मेयर द्वारा लिखे गए लेटरों को कौन का कर्मचारी निगम आयुक्त तक नहीं पहुंचा रहा। सवाल यह उठता है कि यदि किसी कर्मचारी ने मेयर द्वारा लिखे गए लेटरों को निगम आयुक्त के नोटिस में नहीं डाला तो क्या नगर निगम आयुक्त उस कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे या फिर निगम आयुक्त सरकार या फिर सरकार में मौजूद लोगों के इशारे पर नगर निगम की मेयर शक्तिरानी शर्मा की अनदेखी कर रहे हैं। ambala today news निगम आयुक्त डॉ. पार्थ गुप्ता व मेयर शक्तिरानी शर्मा आमने सामने, आखिर निगम आयुक्त क्यों नहीं कर रहे पार्षदों की भावनाओं की कदर
Ambala Coverage 12 February 2020 (Epaper)
रमेशमल के समय भी बनी थी ऐसी स्थिति:-अंबाला नगर निगम की बात की जाए पूर्व मेयर रमेशमल के समय में भी ऐसी परिस्थितियां बनी थी। उस समय रमेशमल के साथ पार्षदों का साथ रहा और आखिर नगर निगम आयुक्त को झुकना पड़ा था। निश्चितततौर पर ऐसी ही मामला आने वाले दिनों में फिर से देखने को मिल सकता है। यदि शक्तिरानी शर्मा 18 फरवरी को बैठक बुलाने पर अड़ी रही और पार्षदों का साथ मिला तो नगर निगम आयुक्त को बैठक बुलानी होगी और यदि बैठक में निगम आयुक्त व कर्मचारी नहीं पहुंचे तो निश्चिततौर पर अंबाला एक बार फिर सरकार विवादों में होगी और फिर विपक्ष के मेयर को दबाने के विवाद के साथ सरकार को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना होगा। ambala today news निगम आयुक्त डॉ. पार्थ गुप्ता व मेयर शक्तिरानी शर्मा आमने सामने, आखिर निगम आयुक्त क्यों नहीं कर रहे पार्षदों की भावनाओं की कदर
Ambala Coverage 12 February 2020 (Epaper)