अंबाला कवरेज@ चंडीगढ़। कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महात्म्य है। आधुनिक युग में चांद से जुड़ा यह पौराणिक पर्व महिला दिवस से कम नहीं है जिसे पति व मंगेतर अपनी अपनी आस्थानुसार मनाते हैं।
क्यों है खास इस बरस करवा चौथ ?
व्यावहारिक दृष्टि से इस बार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 तारीख ,रविवार को पड़ रही है जब अधिकांशतः कार्यालयों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में अवकाश होता है इसलिए कामकाजी महिलाओं के लिए, व्रत रखना सुगम रहेगा। दूसरे ज्योतिषीय दृष्टि से करवा चौथ पर चंद्रमा अपने सर्वप्रिय नक्षत्र रोहिणी में उदित होंगे जो अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन से बहुत सी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह संयोग पांच साल बाद बन रहा है। यदि करवा चौथ रविवार या मंगलवार को पड़े तो यह कर्क चतुर्थी अधिक शुभ एवं शक्तिशाली मानी जाती है। अंक शास्त्र के अनुसार इस वर्ष करवा 24 तारीख को है अर्थात 6 का अंक जो शुक्र का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह ,महिलाओं, सुहाग, ऐश्वर्य, विलासिता,पति- पत्नी के संबंधों का प्रतीक है, इसलिए भी इस बार का व्रत बहुत सौभाग्य शाली होगा। जिनका जन्म 6,15,24 तारीखों या शुक्रवार को हुआ है, वे यह व्रत अवश्य रखें ।Ambala today news: पढ़िए खबर: क्यों विशेष है इस बार 24 अक्तूबर का करवा चौथ का व्रत मदन गुप्ता सपाटू
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कब निकलेगा चांद ?
चतुर्थी रविवार को सुबह 3 बजे आरंभ होगी और 25 अक्तूबर, सोमवार की सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। रविवार को चांद सायंकाल 8 बजकर 03 मिनट पर निकलेगा परंतु सपष्ट रुप से साढ़े 8 बजे के बाद ही नजर आएगा।
पूजन का शुभ समय
सायंकाल 7 बजे से 9 बजे तक रहेगा।
कैसे करें पारंपरिक व्रत?
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके पति,पुत्र,पौत्र,पत्नी तथा सुख सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत
रखें। शिव ,पार्वती, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें। बाजार में मिलने वाला करवा चौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा
स्थान पर लगा लें। चंद्रोदय पर अर्घ्य दें। पूजा के बाद तांबे या मिटट्ी के करवे में चावल, उड़द की दाल भरें । सुहाग की सामग्री,- कंघी,सिंदूर ,चूड़ियां,रिबन, रुपये आदि रखकर दान करें। सास के चरण छूकर आर्शीवाद लें और फल, फूल, मेवा, बायन, मिष्ठान,बायना,
सुहाग सामग्री,14पूरियां ,खीर आदि उन्हें भेंट करें। विवाह के प्रथम वर्ष तो यह परंपरा सास के लिए अवश्य निभाई जाती है। इससे सास-
बहू के रिश्ते और मजबूत होते हैं।
करवा चौथ की पूजा विधि?
– करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें. अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें-
”मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये”. पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें- ”ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
करवा चौथ में सरगी
करवा चौथ के दिन सरगी का भी विशेष महत्व है. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सरगी खाती हैं. सरगी आमतौर पर सास तैयार करती है. सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है. अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है. जो लड़कियां शादी से पहले करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उसके ससुराल वाले एक शाम पहले उसे सरगी दे आते हैं. सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे.
क्या है सरगी का वैज्ञानिक आधार ?
व्रत रखने वाली महिलाओं को उनकी सास सूर्योदय से पूर्व सरगी ‘ सदा सुहागन रहो ’ के आशीर्वाद सहित खाने के लिए देती हैं जिसमें
फल, मिठाई, मेवे, मटिठ्यां ,सेवियां, आलू से बनी कोई सामग्री, पूरी आदि होती है। यह खाद्य सामग्री शरीर को पूरा दिन निर्जल रहने
और शारीरिक आवश्यकता को पर्याप्त उर्जा प्रदान करने में सक्षम होती है। फल में छिपा विटामिन युक्त तरल दिन में प्यास से बचाता है।
फीकी मटठ्ी उर्जा प्रदान करती है और रक्त्चाप बढ़ने नहीं देती। मेवे आने वाली सर्दी को सहने के लिए षारीरिक क्षमता बढ़ाते हैं। मिठाई
सास बहू के संबंधों में मधुरता लाने का जहां प्रतीक है ,वहीं यह व्रत के कारण शुगर का स्तर घटने नहीं देती जिससे शरीर पूरी क्षमता से
कार्य करता है और व्रत बिना जल पिए सफल हो जाता है।यह व्रत शारीरिक व मानसिक परीक्षा है ताकि वैवाहिक जीवन में विशम व
विपरीत परिस्थितियों में एक अर्धांगनी , पति का साथ निभा सके। भूखे प्यासे और शांत रहने की कला सीखने का यह भारतीय सभ्यता
व संस्कृति में पर्वोंं के माध्यम से अनूठा प्रशिक्षण है। चंद्र सौंदर्य एवं मन का कारक ग्रह है अतः चंद्रोदय पर व्रत खोलने से मन में
शीतलता का संचार होता है और सोलह श्रृंगार किए पत्नी देख कर कुरुपता में भी सौंदर्य बोध होता है।
दांपत्य जीवन में आई दरार को दूर करने या वैवाहिक जीवन को और आनंदमय बनाने के करवा चौथ पर विशेष उपाय
- यदि आपके वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां हैं या ‘पति -पत्नी के मध्य किसी वो ’ के आगमन से विस्फोटक स्थिति बन गई है तो इस करवा चौथ के अवसर पर हमारे ये प्रयोग करने से न चूकें। ये उपाय सरल ,सफल अहिंसक एवं सात्विक हैं जिससे किसी को शारीरिक नुक्सान नहीं पहुंचेगा और आपके दांपत्य जीवन में मधुरता भी लौट आएगी।
- जीवन साथी का सान्निध्य पाने के लिए, एक लाल कागज पर अपना व जीवन साथी का नाम सुनहरे पैन से लिखें । एक लाल रेशमी कपड़े में दो गोमती चक्र, 50 ग्राम पीली सरसों तथा यह कागज मोड़ कर एक पोटली की तरह बांध लें। इस पोटली को कपड़ों वाली अलमारी में कहीं छिपा कर करवा चौथ पर रख दें। अगले करवा पर इसे प्रवाहित कर दें।
- यदि पति या पत्नी का ध्यान कहीं और आकर्षित हो गया हो तो आप जमुनिया नग ‘ परपल एमीथीस्ट’ 10 से 15 रत्ती के मध्य चांदी या सोने के लॉकेट में बनवा कर, शुद्धि के बाद करवा चौथ पर धारण कर लें। यदि आप अपने जीवन साथी से किसी अन्य के कारण उपेक्षित हैं तो करवा चौथ के दिन 5 बेसन के लडडू, आटे के चीनी में गूंधे 5 पेड़े, 5 केले, 250 ग्राम चने की भीगी दाल, किसी ऐसी एक से अधिक गायों को खिलाएं जिनका बछड़ा उनका दूध पीता हो। करवा चौथ पर इस समस्या को दूर करने के लिए अपने ईष्ट से विनय भी करें। यदि पति या पत्नी के विवाहेत्तर संबधों की आशंका हो तो एक पीपल के सूखे पत्ते या भोजपत्र पर ‘उसका’ नाम लिखें । किसी थाली में इस पत्र पर तीन टिक्कियां कपूर की रख कर जला दें और इस संबंध विच्छेद की प्रार्थना करें।
आज किस रंग के परिधान पहनें ?
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के दौरान काला पहनने की मनाही होती है। यह अशुभता का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि मंगलसूत्र
के काले दाने के अलावा इस दिन किसी काले रंग का प्रयोग न करें। मान्यता है कि सुहागिनों को सफेद वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
सफेद रंग सौम्यता और शांति का प्रतीक माना जाता है। लेकिन सुहाग के लिए रखे जाने वाले करवा चौथ व्रत में सफेद रंग की मनाही
होती है।करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियों को भूरा रंग पहनने से बचना चाहिए। मान्यता है कि यह रंग राहु और केतु का प्रतिनिधित्व
करता है।
इन रंगों के वस्त्र धारण करना माना जाता है शुभ-
करवा चौथ के दिन सुहागिनों को लाल, गुलाबी, पीला, हरा और महरून रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। पहली बार करवा चौथ व्रत रखने
वाली स्त्रियों को लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं अगर शादी का जोड़ा
पहनती हैं तो, इसे और उत्तम माना जाता है।
करवा चौथ के दिन राशि के अनुसार वस्त्र पहनने से वैवाहिक जीवन
खुशहाल रहता है।
- मेष- गोल्डन रंग की साड़ी, लहंगा या सूटकर पूजा करें।
- वृषभ- सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहेगा।
- मिथुन- हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
- कर्क- शुभ रंग लाल है।
- सिंह-लाल, ऑरेंज या गोल्डन रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
- कन्या- लाल, हरी या गोल्डन रंग की साड़ी पहनें।
- तुला-लाल, गोल्डन या सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करें।
- वृश्चिक- लाल रंग सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन आप महरून या गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर पूजा कर सकती हैं।
- धनु- आसमानी या पीले रंग के वस्त्र धारण करने की सलाह दी जाती है।
- मकर- नीला रंग शुभ माना जाता है।
- कुंभ- नीले रंग या सिल्वर कलर के वस्त्र धारण कर सकती हैं।
- मीन-पीले या गोल्डन कलर के कपड़े पहनकर पूजा करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगीAmbala today news: पढ़िए खबर: क्यों विशेष है इस बार 24 अक्तूबर का करवा चौथ का व्रत मदन गुप्ता सपाट
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