अंबाला- विपक्षी राजनीतिक दलों में कृषि विधेयकों को लेकर किसान वोट बैंक की सियासत की होड़ मची हुई है। किसी दल का ध्यान इन विधेयकों की खूबी-खामियों पर नहीं है, बस इसके बहाने खुद को सबसे बड़ा किसान हितैषी साबित करने की प्रतिस्पर्धा है। राज्य में इन पर जमकर राजनीति हो रही है। सभी दल अपनी ताकत अपने आप को किसान हितैषी और दूसरे दल को किसान विरोधी बताने में लगा रहे है। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने तीन अध्यादेशों पर एनडीए का साथ इतने सालों के बाद छोड़ दिया हैं। परंतु अगर हम खबरों के माध्यम से देखें तो सभी राजनेतिक पार्टियाँ चाहे वह कांग्रेस हो चाहे वह आप हो या अकाली दल किसानों के लिए कुछ करने की जगह सब आपस में रोप प्रत्यारोप लगा रहें हैं कांग्रेस कहती है अकाली दल वोट की राजनीति कर रही है उसको किसानों से कुछ नहीं लेना उधर अकाली दल कह रहा है की मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह दिखावा करते है। करते कुछ नहीं अगर कुछ दिन पहले हिंदुस्तान टाइम्ज़ अख़बार की बात करें तो उसमें आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत जी मान कह रहे की मुख्यमंत्री जी एमएसपी का वायदा करें नहीं तो गद्दी छोड़ दें। उधर कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखर जी कह रहे हैं की आप एवं अकाली दल ने प्रदेश के लिए ज़ीरो कमिटमेंट की है मतलब कुछ भी नहीं कर रहे हैं। पर्याए यह है की प्रदेश के विकास की सोच के रखे बिना यह सब पार्टियाँ आपसी लड़ाई लड़ रही है की बस हमारी ज़मीन बची रहे। जनता के भला से क्या लेना देना। ambala today news पढ़िए खबर: भाजपा नेता अनुभव अग्रवाल ने क्यों कहा किसान वोट बैंक की राजनीति
भाजपा को छोड़ कर सभी प्रमुख दल खुलकर एक ही तरफ़ आ चुके हैं । कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ पहले ही दिन से बोल रहे हैं। अकाली दल, जो कुछ सप्ताह पहले तक अध्यादेशों का बचाव कर रहा था, अब प्रदर्शनकारी किसानों में शामिल हो गया है। दरअसल, राज्य में फरवरी-मार्च 2022 में चुनाव होने हैं। कोई भी पार्टी किसानों को नाराज़ नहीं करना चाहती है। किसान संगठनों का कहना है कि एमएसपी किसानों की आय का एकमात्र स्रोत है और ये नए क़ानून इसे ख़त्म कर देंगे। तीनों विधेयकों की सही और पूरी जानकारी किसानों को दी ही नहीं गयी है। सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपने मनेफ़ेस्टो में किसान को आज़ादी की बात करते हैं अगर भाजपा सरकार ने इस और कदम उठाया तो यह किसान भाइयों को भड़का रहें है। वास्तव में, ये विधेयक कृषि-उपज की विक्रय-व्यवस्था को विचोलीयों से मुक्त कराने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। साथ ही, बाजार के उतार-चढ़ावों से भी किसानों को सुरक्षा-कवच प्रदान करेंगे । इन विधेयकों में सबसे ज्यादा और तीखा विरोध कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधाकरण) विधेयक को लेकर किया जा रहा है। इस विधेयक के सम्बन्ध में सबसे बड़ी अफ़वाह यह फैलायी जा रही है कि यह किसान की उपज के लिए सरकार द्वारा साल-दर-साल घोषित होने वाली ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था’ की समाप्ति करने वाला है। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है। कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधाकरण) विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार किसानों को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त कराना चाहती है।निष्कर्ष यह है कि प्रधानमंत्री जी का किसानों के साथ वायदा 2022 में लाभ दुगना। उस दिशा में यह काम है। ambala today news पढ़िए खबर: भाजपा नेता अनुभव अग्रवाल ने क्यों कहा किसान वोट बैंक की राजनीति