अंबाला कवरेज @ अंबाला
अंबाला नगर निगम चुनाव की तारीख कभी भी घोषित हो सकती है। जहां एक ओर सत्ता दल भाजपा ने नगर निगम चुनाव की आहट को देखते हुए अपना ग्राउंड वर्क बढ़ा दिया है तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा डेमोक्रेटिव फ्रंट ने अमिषा चावला को मेयर उम्मीदवार घोषित कर दिया। जिसके बाद वह भी लगातार फील्ड में जाकर लोगों से संपर्क बनाने में लगे हैं। लेकिन इन सबके बीच प्रदेश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं का अभी तक ग्राउंड वर्क न के बराबर है। वह तो केवल मीडिया में बयान देकर जनता के हितैषी होने का दावा करने में लगे हैं।
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अंबाला नगर निगम चुनाव की बात की जाए तो यहां पर कांग्रेस से टिकट के चाहवान काफी हैं, लेकिन हर कोई टिकट मिलने के बाद ही ग्राउंड वर्क करना चाहता है। वहीं कई नेताओं का तो यह भी कहना है कि यदि पार्टी चुनाव चिह्न पर लड़ती है तो ही मेयर की टिकट लेने का फायदा है और जब तक पार्टी यह क्लीयर नहीं करती, तब तक किसी तरह भी चुनाव लड़ने की बात करना उचित नहीं होगा। अंबाला शहर नगर निगम की बात की जाए तो कुमारी सैलजा के सबसे करीबी रहे रिंकू पुनिया की पत्नी को मेयर का उम्मीदवार घोषित करने की चर्चाएं हैं, क्योेंकि उनकी पत्नी पहले भी पार्षद हर चुकी हैं और उन्हें पता है कि हाउस में किस तरह काम होता है। इसके अलावा इशु गोयल की धर्मपत्नी मेघा गोयल भी मेयर पद की उम्मीदवार पर दावा ठोक रही है। इसके वीरेंद्र दीक्षित ने भी अपनी पत्नी को मेयर पद के उम्मीदवार के तौर पर बताया है।
बताया जाता है कि इन लोगों ने मेयर पर के उम्मीदवार के लिए आवेदन भी किया है। अब सवाल यह है कि आखिर आवदेन करने के बाद भी इक्का दुक्का नेताओं को छोड़कर कोई भी फील्ड में अभी तक नजर नहीं आया। वही दूसरी तरफ अंबाला कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं, जिसके दम पर चुनाव लड़ना जा सके। अंबाला शहर नगर निगम चुनाव की बात की जाए तो केवल कुमारी सैलजा के नाम पर चुनाव लड़ा जाएगा और वह ही अपने उम्मीदवारों के लिए फील्ड में दम दिखाएंगी। वहीं दूसरी तरफ वैेसे तो कांग्रेस से बड़े चेहरों में पूर्व विधायक व वर्तमान में कांग्रेस की टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ चुके जसबीर मलौर भी है, लेकिन अभी तक कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें अपना नेता स्वीकार नहीं किया। मलौर हर प्रोग्राम में शामिल होते हैं, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का उनके साथ व्यवहार मात्र एक आम कार्यकर्ता जैसा रहता है। स्वच्छ छवि व शांत स्वभाव के जसबीर मलौर हमेशा वर्करों के साथ संबंध बनाने पर विश्वास रखते हैं। लेकिन वर्कर उन्हें नेता नहीं मानते।
अंबाला नगर निगम चुनाव: अब ऐसे में सवाल यह है कि अंबाला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के पास सबसे बड़ा चेहरा केवल कुमारी सैलजा है और हर किसी को लगता है कि कुमारी सैलजा की किश्ती पर सवार होकर मेयर के साथ साथ पार्षद के चुनाव में भी जीत हासिल की जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ वार्डस्तर पर चुनाव लड़ने के इच्छुक कांग्रेसी नेताओं ने वार्डस्तर पर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि पार्टी टिकट जब मर्जी दे, लेकिन हमारी तैयारी पूरी होनी चाहिए। इसको लेकर कांग्रेसी नेता वार्डस्तर पर लोगों के बीच जाकर अपनी पकड़ बनाने में लगे हैं।
हिम्मत सिंह को मान लिया था नेता
अंबाला कांग्रेस की बात की जाए तो युवा नेता हिम्मत सिंह को कांग्रेसी नेताओ ंने अपना नेता मान लिया था। वर्ष 2014 में अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक उम्मीदवार के तौर पर जिम्मेदारी मिलने के बाद विपक्ष में रहते हुए हिम्मत सिंह ने कई बड़े प्रोग्राम किए और जनता की आवाज को बुलंद करने का काम किया। समय समय पर धरने दिए और प्रदर्शन किए। धीरे धीरे करके कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपना नेता मान लिया था, लेकिन 2019 में उन्हें कांग्रेस की तरफ से टिकट नहीं दी गई और वह पूर्व मंत्री निर्मल सिंह द्वारा बनाई गई पार्टी हरियाणा डेमोके्रटिव फ्रंट के साथ लग गए। इस दौरान 2019 के चुनाव में उन्होंने निर्मल सिंह का साथ दिया। अब नगर निगम चुनाव में टिकट बटवारे को लेकर हिम्मत सिंह व निर्मल सिंह के बीच में दुरिया हैं और इस बात की नाराजगी हिम्मत सिंह कई बार मीडिया के सामने भी जाहिर कर चुके हैं। फिलहाल हिम्मत सिंह ने 3 दिसंबर को अपने आफिस के बाहर कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है और वहां पर फैसला लेना है कि आखिर आगे क्या रणनीति अपनाई जाए। वही दूसरी तरफ चर्चाएं यह भी है कि हिम्मत सिंह कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं। ऐसे में यदि हिम्मत कांग्रेस में वापसी करते हैं तो अंबाला शहर में निश्चिततौर पर कांग्रेस ओर मजबूत होगी और नगर निगम चुनाव में कई स्मीकरण बदल सकते हैं।