ambala coverage news: एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “भगत सिंह: क्रांतिकारी विरासत का पुनरावलोकन

अमित कुमार
अंबाला कवरेज @ अंबाला। जी.एम.एन. कॉलेज, अंबाला कैंट के इतिहास विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसे उच्च शिक्षा विभाग, हरियाणा द्वारा मान्यता प्राप्त थी। इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय था “भगत सिंह: क्रांतिकारी विरासत का पुनरावलोकन।” संगोष्ठी का आरंभ मुख्य अतिथि तथा कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सम्मानित अतिथियों के स्वागत के साथ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत देवी सरस्वती के आह्वान तथा दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसका उद्देश्य देवी सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करना था। सेमिनार के मुख्य वक्ता देश भगत विश्वविद्यालय, मंडी गोबिंदगढ़, पंजाब के अकादमिक विभाग के प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर अमरजीत सिंह थे। समापन सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय के गांधीवादी और शांति अध्ययन विभाग के प्रोफेसर मनीष शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में कार्य किया। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रोहित दत्त ने कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में सेमिनार के संयोजक और इतिहास विभाग के प्रमुख डॉ. धर्मवीर सैनी ने मुख्य अतिथि, अन्य सम्मानित अतिथियों और प्रतिनिधियों को सेमिनार के विषय से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि भगत सिंह की प्रासंगिकता अपने समय में बहुत अधिक थी, लेकिन उनकी विचारधारा आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक है। जिस तरह आज के युवा भटकाव के रास्ते पर बढ़ रहे हैं, ऐसे में भगत सिंह की विचारधारा उन्हें सही दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। भगत सिंह आज भी युवाओं के बीच उतने ही लोकप्रिय हैं, जितने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के समय थे। उनके लिए भगत सिंह आज भी प्रेरणा के स्रोत हैं। भगत सिंह की विचारधारा पर चलकर युवा न केवल अपना भविष्य बना सकते हैं, बल्कि देश के भीतर मौजूद समस्याओं का समाधान भी पा सकते हैं। इसीलिए इस सेमिनार का आयोजन किया गया।

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कॉलेज प्राचार्य डॉ. रोहित दत्त ने कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि एवं अन्य सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इतिहास आज भी युवाओं के लिए मार्गदर्शक का काम करता है। युवाओं को भगत सिंह से सीख लेनी चाहिए, खासकर अपने विद्यार्थी जीवन में, जहां भगत सिंह एक आदर्श एवं प्रेरणास्रोत के रूप में काम कर सकते हैं। भगत सिंह ने अपने विद्यार्थी जीवन में ही एक नए राष्ट्र की कल्पना कर ली थी। युवाओं को भगत सिंह से सीखना चाहिए कि किस तरह उन्होंने अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी एक मजबूत, समृद्ध एवं संपूर्ण राष्ट्र के निर्माण के लिए काम किया और अंततः राष्ट्र के कल्याण के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर अमरजीत सिंह ने अपने मुख्य भाषण में बताया कि भगत सिंह राष्ट्रीय आंदोलन के ऐसे नेता थे जिन्होंने न केवल दुनिया के सामने ब्रिटिश शासन को बेनकाब किया बल्कि इस बात पर भी जोर दिया कि भारत की आजादी की लड़ाई केवल अंग्रेजों के खिलाफ नहीं थी बल्कि देश के अंदर की आंतरिक व्यवस्थागत खामियों के खिलाफ भी थी। जब तक हम अपनी आंतरिक व्यवस्था में सुधार नहीं करेंगे, अपने अंदर सामाजिक समानता की भावना पैदा नहीं करेंगे, आर्थिक समानता को नहीं अपनाएंगे और निम्न वर्गों के शोषण को खत्म नहीं करेंगे, तब तक हम एक समृद्ध भारत का निर्माण नहीं कर सकते। उनके अनुसार, हालांकि भारत अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद हो चुका है, लेकिन हम अभी भी अपनी मानसिकता को पूरी तरह से नहीं बदल पाए हैं, जो बहुत चिंता का विषय है। जब तक हम सभी के साथ समान व्यवहार नहीं करेंगे, तब तक भारत सही मायने में आजाद नहीं हो सकता।

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आज भी भारत अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। भगत सिंह जैसे युवा नेता की विचारधारा पर चलकर हम इन समस्याओं का समाधान पा सकते हैं, चाहे वे छात्रों की शैक्षणिक समस्याओं से संबंधित हों, भारत की आर्थिक समृद्धि के लिए बेहतर अवसर तलाशने की बात हो, सामाजिक समानता को बढ़ावा देने की बात हो या फिर किसानों और मजदूरों के शोषण की बात हो। भगत सिंह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के ऐसे युवा नेता थे, जिन्होंने अपनी विचारधारा के आधार पर अपने समय में लोकप्रियता में महात्मा गांधी को भी पीछे छोड़ दिया था। प्रोफेसर मनीष शर्मा ने अपने समापन भाषण में कहा कि भगत सिंह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के ऐसे नायक थे जिन्होंने आंदोलन को नई दिशा दी। जब भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन गतिरोध की ओर बढ़ रहा था, तब भगत सिंह युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे और आंदोलन को मजबूती दी। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के शोषणकारी ढांचे को खुलकर उजागर किया, जिसे औपनिवेशिक प्रशासन ने छिपा रखा था। उन्होंने आगे कहा कि भगत सिंह जैसे युवा नेता आज भी अपनी विचारधारा के माध्यम से दुनिया में जीवित हैं। उनकी विचारधारा ने न केवल भारत को देश के भीतर अग्रणी स्थान पर रखा, बल्कि विश्व स्तर पर भारत का दर्जा भी बढ़ाया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवाद के विचार को प्रबल राष्ट्रवाद के रूप में परिवर्तित किया और युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज प्राचार्य ने अपने पिता श्री प्रोफेसर राम दत्त जी की स्मृति में शुरू किए गए स्वर्गीय प्रोफेसर राम दत्त इतिहासकार शिक्षक उत्कृष्टता पुरस्कार से भी सम्मानित किया, जो इस वर्ष से गांधी मेमोरियल नेशनल कॉलेज, अंबाला कैंट के इतिहास विभाग के अंतर्गत शुरू किया गया है। इस वर्ष यह पुरस्कार डॉ. अतुल यादव, एसोसिएट प्रोफेसर, गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, अंबाला कैंट को 2023-2024 के दौरान इतिहास के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के आधार पर दिया गया। डॉ. यादव को कॉलेज प्राचार्य डॉ. रोहित दत्त द्वारा प्रशस्ति पत्र, प्रमाण पत्र और ₹10,000 का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम के अंत में गणित विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार ने सेमिनार की रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा उपस्थित सभी प्रतिनिधियों का धन्यवाद किया। इस एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली व अन्य क्षेत्रों के विभिन्न विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों व महाविद्यालयों से लगभग 110 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कॉलेज की ओर से डॉ. एसएस नैन, डॉ. कृष्णा पूनिया, डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. एसके पांडे, डॉ. सुरजीत कुमार, डॉ. अमित कुमार, डॉ. कुलदीप यादव, डॉ. राजेंद्र कुमार, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. राजेश सैनी, श्री राम मूर्ति जी एवं कॉलेज के अन्य संकाय सदस्यों ने इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में सक्रिय रूप से भाग लिया।

edited by alka rajput

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