हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने उठाई मांग, सीबीएसई की तर्ज पर हरियाणा शिक्षा बोर्ड भी कम करे नौंवी से 12वीं कक्षा तक का सिलेबस- कुंडू

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चंडीगढ (अंबाला कवरेज)। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने सीबीएसई की तर्ज पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से भी नौंवी से 12वीं कक्षा तक का सिलेबस कम करने की मांग की है। इसके साथ ही हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा लागू करने के फैसले का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने कहा कि अगले सत्र से बोर्ड परीक्षा लेने व पांचवीं कक्षा के लिए भी बोर्ड परीक्षाएं लागू करने की मांग की है। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू, महासचिव पवन राणा, प्रांतीय उपप्रधान सौरभ कपूर, संरक्षक तेलूराम रामायणवाला व बलदेव खन्ना ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते प्रदेश के सभी स्कूल 15 मार्च से बंद हैं। आगे भी जल्द खुलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।

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उन्होंने कहा कि अभी स्कूलों में आनलाइन कक्षाएं चल रही हैं, लेकिन इससे रेगुलर कक्षाओं की तरह पढ़ाई नहीं हो पाती। जितनी पूरा सिलेबस कराने के लिए होनी चाहिए। इसलिए बच्चों की पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए स्टूडेंट्स पर दबाव कम करने के लिए सीबीएसई की तरह नौंवी से 12वीं कक्षा तक का सिलेबस कम से कम 50 प्रतिशत घटाया जाए। हरियाणा प्राइवेट स्कूूल संघ के अध्यक्ष कुंडू ने कहा कि ताकि बच्चे उसी आधार पर अपनी तैयारी कर सके। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि सरकार ने आठवीं कक्षा का दोबारा से बोर्ड बनाने का जो फैसला लिया है, उसका संघ स्वागत करता है। यह बोर्ड इस बार मिड सेशन की बजाए अगले शैक्षणिक सत्र 2021-22 से लागू किया जाए, ताकि बच्चों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

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उन्होंने कहा कि पांचवीं व आठवीं कक्षा का बोर्ड समाप्त होने के कारण कई विद्यार्थी व अध्यापक शिक्षा को लेकर बेपरवाह हो गए थे। पहले बोर्ड की कक्षाओं के लिए जहां साल भर सामान्य कक्षाओं के अलावा विशेष कक्षाएं लगाते थे, लेकिन जब से बोर्ड परीक्षा समाप्त की गई हैं। तब से न तो विद्यार्थी समय पर स्कूलों में दाखिला लेते हैं। उन्होंने कहा कि न ही अभिभावक व अध्यापक विद्यार्थियों पर अधिक ध्यान दे पा रहे हैं। कुंडू ने कहा कि पहले सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में कक्षा विशेष का परिणाम आते ही दाखिला ले लेते थे। बोर्ड की कक्षाओं के समाप्त होने के बाद सभी ने बस परीक्षा में बैठे बैठाए पास होने को ही नियति मान लिया है। इसलिए अगले सत्र से ही आठवीं कक्षा का बोर्ड लागू किया जाए ताकि बच्चे शैक्षणिक व मानसिक तौर पर इस परीक्षा के लिए तैयार हो सकें।

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