ambala coverage news हरियाणा में विधायकों द्वारा अपने  लेटर-पैड पर प्रदेश सरकार के  प्रतीक-चिन्ह का प्रयोग करने पर  सवाल

अमित कुमार
अंबाला कवरेज@  चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के  निर्वाचित सदस्यों अर्थात  विधायकों द्वारा  अपने  लेटर-पैड  एवं अन्य लेखन- सामग्री आदि  पर हरियाणा सरकार के  प्रतीक-चिन्ह- संप्रतीक (एम्ब्लेम) का  प्रयोग करने पर सवाल उठ गया है.  गत सप्ताह 3 अप्रैल को अम्बाला जिले के अम्बाला शहर हलके  से कांग्रेस पार्टी के  विधायक निर्मल सिंह ने प्रदेश के मुख्य सचिव को एक लिखित शिकायत भेजी है  जिसमें उन्होंने अम्बाला नगर निगम के वर्तमान कमिश्नर सचिन गुप्ता, आईएएस के विरूद्ध उन्हें (निर्मल सिंह) को हालिया मुलाक़ात दौरान निर्धारित प्रोटोकॉल अनुसार   उपयुक्त  मान-सम्मान न देने का मामला उठाया है. गौतलब है कि इस बारे में विधायक द्वारा अपने लैटर-पद पर  भेजे  पत्र पर हरियाणा विधानसभा की नहीं बल्कि  हरियाणा सरकार की आधिकारिक सील अर्थात  प्रतीक-चिन्ह- संप्रतीक (एम्ब्लेम) मुद्रित  है.  इसी प्रकार गत वर्ष  अक्टूबर, 2024 में हिसार  जिले के उकलाना  हलके  से कांग्रेस विधायक नरेश सेलवाल द्वारा उनके   लेटर-पैड पर प्रदेश के मुख्यमंत्री, बिजली (उर्जा) मंत्री, मुख्य सचिव आदि  को दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड के अंतर्गत उकलाना क्षेत्र  में तैनात एक असिस्टेंट इंजिनियर  द्वारा विधायक सेलवाल के  साथ किये गये कथित  अभद्र व्यवहार की लिखित शिकायत भेजी गई थी एवं उस   पत्र  के ऊपर भी हरियाणा सरकार के प्रतीक-चिन्ह (एम्बलेम) की छाप थी.  बहरहाल, इस सबके बीच  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और विधायी मामलों के जानकार  हेमंत कुमार ने बताया कि कुछ माह पूर्व उन्होंने इस  विषय पर प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा विधानसभा के स्पीकर, मुख्य सचिव, विधानसभा सचिव  आदि को  एक ज्ञापन भेजकर इस सम्बन्ध में आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी करने की अपील करते हुए सार्वजानिक तौर पर यह मुद्दा उठाया था क्या  एक विधायक द्वारा, बेशक वह सत्तारूढ़ पार्टी या विपक्षी दल अथवा निर्दलीय हो, क्या वह अपने आधिकारिक लैटर-पैड अथवा अन्य लिखित सामग्री आदि जैसे  विसिटिंग-कार्ड आदि  पर हरियाणा सरकार के आधिकारिक एम्बलेम (संप्रतीक) का प्रयोग कर सकता है विशेषकर तब जब हरियाणा विधानसभा द्वारा अपना स्वयं का  आधिकारिक एम्बलेम  (प्रतीक-चिन्ह) बनाया गया है जो हालांकि  देखने में हुबहू प्रदेश  सरकार जैसा नज़र आता है परन्तु उसमें  हरियाणा सरकार के स्थान पर हरियाणा विधानसभा का उल्लेख किया गया  है. दुर्भाग्यवश आज तक न तो विधानसभा सचिवालय और न प्रदेश सरकार द्वारा कोई जवाब दिया गया है.
 हेमंत का स्पष्ट  मत है कि हरियाणा विधानसभा के कुल 90 विधायकों में से मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के 13 मंत्रियों  को ही आधिकारिक तौर पर  हरियाणा सरकार कहा जा सकता है एवं  विधानसभा स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और  शेष  74 विधायकों  को नहीं बेशक उनमें से 34 विधायक स्वयं  सत्तारूढ़ भाजपा के टिकट पर विधायक  निर्वाचित  हों एवं 3 निर्दलीय विधायक  जो सत्तारूढ़ भाजपा का समर्थन कर रहे हों. मुख्यमंत्री और समस्त मंत्रीगण,  जिन्हें  हालांकि राज्यपाल द्वारा भारतीय संविधान के अंतर्गत प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री/मंत्री  पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई है, केवल उन्हें ही  हरियाणा सरकार कहा जा सकता है  और उनके  अतिरिक्त शेष सभी विधायक प्रदेश  विधानसभा के ही सदस्य है एवं उन सब द्वारा   अपने  लेटर-पैड एवं अन्य लेखन सामग्री  पदार्थो पर हरियाणा सरकार का एम्ब्लेम के प्रयोग करना उपयुक्त एवं उचित नहीं है हालांकि वह इसके बजाए हरियाणा विधानसभा के प्रतीक-चिन्ह का प्रयोग कर सकते हैं.    हेमंत ने यह भी  बताया कि साढ़े  चार वर्ष पूर्व जब हरियाणा विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता द्वारा अक्टूबर, 2020 में प्रदेश के विधायकों को अपनी अपनी  गाड़ियों/वाहन के आगे  मैरून रंग की छोटी  झंडी लगाने की अनुमति प्रदान की गयी, तो उस झंडी  पर भी हरियाणा विधानसभा का ही  प्रतीक-चिन्ह- संप्रतीक (एम्ब्लेम) है, हरियाणा सरकार का  नहीं.

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