पंचकूला (अंबाला कवरेज)। शुक्रवार को शिक्षा मंत्री व निजी स्कूल संचालकों के बीच चली लंबी बैठक के बाद आखिर देर शाम को शिक्षा विभाग में एसएलसी के मामले को लेकर नए आदेश जारी कर दिए। नए आदेशों में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कोई भी बच्चा सरकारी स्कूल में जाकर बिना एसएलसी के दाखिला ले सकता है लेकिन साथ ही शुक्रवार शाम को जारी किया गया आदेशों में यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब तक सरकारी स्कूल में दाखिला लेने वाला बच्चा एसएलसी नहीं लेकर आएगा तब तक उसके एडमिशन को अस्थाई माना जाएगा। वहीं सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब कोई बच्चा सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने के लिए आएगा तब सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल निजी स्कूलों को लिखित में सूचना देंगे और एसएलसी की डिमांड करेंगे। निजी स्कूल द्वारा एसएलसी दिए जाने के बाद ही सरकारी स्कूल में बच्चे के एडमिशन कंफर्म माना जाएगा। फिलहाल यह कहने में कोई गुरेज नहीं की सरकार ने अप्रत्यक्ष तौर पर एक बार फिर निजी स्कूलों की बात को माना और यह स्पष्ट कर दिया कि यदि कोई स्टूडेंट्स सरकारी स्कूल में आना चाहता है तो उसे निजी स्कूलों की फीस देख कर ही आना पड़ेगा। क्योंकि शिक्षा नियमावली में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे को यदि एसएससी चाहिए तो उसे स्कूल के सभी बकाया चुकाने होंगे ! इंटीग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष सौरभ कपूर ने बताया कि सरकार द्वारा एस्सेल सीना लिए जाने वाला फैसला बिल्कुल गलत था जिसका हरियाणा के सभी स्कूल संगठनों ने पुरजोर विरोध किया जिसके चलते सरकार ने अपना फैसला वापस लिया!
लॉक डाउन के बाद लगातार निजी स्कूल संचालकों की बढ़ती परेशानियों के बीच प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए एसएलसी के बिना सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिए जाने के आदेशों पर निजी स्कूल संचालकों के संगठनों ने शिक्षामंत्री कंवरपाल गुज्जर के सामने अपनी बात रखी। पंचकूला में आयोजित की गई बैठक में स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि लॉक डाउन के कारण स्कूल बंद हैं और फीस नहीं आ रही, ऐसे में सरकार द्वारा बिना एसएलसी के सरकारी स्कूलों में एडमिशन देने की बात करना, निजी स्कूल विरोधी फैसला है। स्कूल एसोसिशन के पदाधिकारियों ने कहा कि कई निजी स्कूलों की तो अभी तक 10 प्रतिशत फीस भी नही आई और ऐसे में सरकार यह फैसला निजी स्कूल विरोधी है। बैठक के दौरान शिक्षा विभाग के एसीएस डॉ. महावीर सिंह भी मौजूद रहे।
पंचकूला स्थित शिक्षा सदन में हुई बैठक के दौरान हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान कुंडू, फेडरेशन आॅफ प्राइवेट स्कूल एसोसिशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा, इंट्रीग्रेटिड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सौरभ कपूर सहित कई एसोसिएशन के नेताओं ने अपनी बात रखी। बैठक के दौरान सत्यवान कुंडू ने कहा कि हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ द्वारा मांग की गई कि लॉक डाउन के दौरान स्कूलों का सारा ट्रांसपोर्ट बंद पड़ा है इसके चलते बस की किश्ते भी माफ होनी चाहिए। बस पर जो सरकारी टैक्स लगता है उसके साथ-साथ इंश्योरेंस पर भी माफी होनी चाहिए।
वहीं कुलभूषण शर्मा ने कहा कि लॉक डाउन के कारण निजी स्कूलों को फसी नही आ रही और स्कूल सेलरी नहीं दे पा रहे। जिसके कारण स्कूल स्टाफ व स्कूल संचालक आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। इसलिए सरकार स्कूलों में एसएलसी के बिना एडमिशन दिए जाने के आदेश गलत हैं और वह इसका जमकर विरोध करते हैं और यदि सरकार ने आदेशों को वापस नहीं लिया तो स्कूलों को संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा। वही इंट्रीग्रेटिड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सौरभ कपूर ने कहा कि सरकार कहती है कि निजी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में हरियाणा में बहुत ही सराहनीय काम कर रहे हैं सरकार को उनका सहयोग करना चाहिए। सौरभ ने कहा कि मान्यता मिलने के 10 साल के बाद केवल स्कूलों की समीक्षा के बारे में कहां गया था। परंतु अधिकारियों द्वारा नई मान्यता का फॉर्म भरने पर स्कूलों पर दबाव डाला जा रहा है। जो सरासर गलत है। वहीं कूंडू ने कहा कि एमआईएस पोर्टल को भी स्कूल के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से जोड़ना चाहिए। एसएलसी के दौरान एक ओटीपी जनरेट होना चाहिए। जिससे एसएलसी काटा जा सके।
1 thought on “निजी स्कूल संचालकों के दबाव में सरकार ने फिर बदला फैसला, पढ़िए सरकार के नए आदेश”
शिक्षा मंत्री जी
सादर नमस्कार
मैं एक मध्यमवर्गीय अभिभावक हूं और इस बात से परेशान हूं की शिक्षा विभाग बार बार निजी स्कूलों के समक्ष घुटने टेक देता है, शायद मेरी ही तरह और भी अभी भावक इस बात से परेशान होंगे लेकिन हर कोई इस बात डरता है कि कहीं मैं सामने ना आ जाऊं। मैं बहुत दिनों से निजी स्कूलों, बेरोजगार अध्यापकों, बेबस हो चुकी सरकार और मजबूर लेकिन दृढ़ संकल्प अभिभावकों के बीच मौजूदा समय में बनी इस विकट समस्या का समाधान खोज रहा था और एक ऐसे निर्णय पर पहुंचा हूं कि यदि सरकार और सरकार के शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ता इस पर सहयोग करें तो राज्य में ना केवल निजी विद्यालयों का मनमानापन समाप्त हो जाएगा बल्कि इसके साथ ही काफी हद तक राज्य की बेरोजगारी की समस्या, सरकार पर पड़ने वाला अनावश्यक आर्थिक बोझ और मजबूरी में निजी स्कूलों में अपने बच्चो को पढ़ाने वाले अभिभावकों कि दुविधा सभी एक साथ ही समाप्त हो सकते हैं।
मंत्री जी में आशा करता हूं कि आप मेरे इस प्रस्ताव पर ध्यान देंगे और यदि मेरी ये बात आप पहुंची है तो आप या आपका कोई सहयोगी मुझसे संपर्क करने का प्रयास करेगा।
धन्यवाद