अंबाला कवरेज @ अमित अठवाल। शिक्षा नियमावली के रूल 134ए को खत्म करने के बाद हरियाणा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले विपक्षियों को सरकार ने जवाब देते हुए आरटीई को प्रदेश में लागू कर दिया। शिक्षा विभाग की तरफ से जारी किए गए आदेशों में स्पष्ट कर दिया गया है कि अब निजी स्कूलों में गरीब व मेधावी छात्रों को 10 प्रतिशत की बजाए 25 प्रतिशत सीटों पर मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। सरकार की तरफ से बकायदा इसको लेकर शैड्यूल भी जारी कर दिया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत बच्चों को इसका लाभ मिल पाएगा, तो वहीं यदि स्कूल नर्सरी क्लास से है तो यह नियम नर्सरी क्लास से लागू होगा। फिलहाल यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि यदि सरकार आरटीई के अनुसार रिइंबसमेंट देती है और नियम को लागू करती है तो निश्चिततौर स्कूल भी दिल खोलकर एडमिशन देंगे।
सरकार द्वारा जारी किए गए शैड्यूल के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे निजी स्कूलों में 16 अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद लॉटरी ड्रा के द्वारा 29 अप्रैल को बच्चों के नामों की घोषणा की जाएगी। जारी किए गए लेटर के अनुसार बच्चों के दाखिलों के लिए अंतिम तारीख 5 मई 2022 निर्धारित की गई है। यदि फिर भी सीटें खाली रहती है तो 10 मई 2022 से लेकर 14 मई 2022 तक दाखिला के लिए आवेदन किया जा सकता है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जारी किए गए लेटर में स्पष्ट कहा है कि स्कूलों को अपने नोटिस बोर्ड, वेबसाइट पर सीटों का ब्यौरा दिखाना होगा। विभाग की तरफ से जारी किए गए लेटर में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति की वार्षिक आय 1 लाख 80 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। वहीं आय की परिवार पहचानपत्र से पुष्ट की जाएगी। वहीं परिवार को आय प्रमाण पत्र देना होगा।
विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विभागीय अधिकारी कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से स्कूल का चयन नहीं कर सकता, उसे अपने घर से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी के बीच में आने वाले स्कूल में ही आवेदन करना होगा। यदि स्कूल में आवेदन करने वालों की संख्या ज्यादा होती है तो ड्रा के माध्यम से बच्चों का चयन किया जाएगा। इन बच्चों से स्कूल किसी तरह की राशि नहीं लेगा और यदि लेता है तो स्कूल पर जुर्माना व शुल्क का 10 गुणा वसूल किया जाएगा। वहीं इसके अलावा बकायदा उम्र को भी एडमिशन का आधार बनाया गया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा नियमावली के रूल 134ए को सरकार को इस कारण खत्म करना पड़ा है कि वह स्कूलों द्वारा आरटीई के अनुसार रिइंबसमेंट मांगने पर नहीं दे पा रही थी, अब सवाल यह है कि अब सरकार 10 प्रतिशत बच्चों को पढ़ाने की एवज में रिइंबसमेंट नहीं दे पा रही तो 25 प्रतिशत बच्चों का कैसे देगी। वहीं नियमों में कहीं यह स्पष्ट नहीं किया गया कि स्कूलों को रिइंसमेंट कैसे दी जाएगी।