चंडीगढ़ (अंबाला कवरेज)। हरियाणा में हुए विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने 75 पार का नारा दिया और विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इसी बीच कांग्रेस को सबसे ज्यादा कमजोर समझने वाले भाजपा के सत्ता दल के नेताओं को आखिर कुमारी सैलजा व भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जोड़ी ने कमाल दिखाया और भाजपा को सत्ता हासिल करने के लिए जादूई आंकड़े से दूर कर दिया, यह अलग बात है कि भाजपा जजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई और आजाद विधायकों का सहयोग लिया। लेकिन इन सबके बीच विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन के बाद चर्चाएं तेज हो गई थी कि अब कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की तरफ ध्यान देगी और कुमारी सैलजा व हुड्डा की जोड़ी मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगी।
विधानसभा चुनावों को हुए करीब 8 महीने का समय बीत चुका है और कांग्रेस हाईकमान व कुमारी सैलजा व भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में प्रदेश का नेतृत्व का रही कांग्रेस पार्टी संगठन को बनाने में अभी तक विफल साबित हुई है। चुनावों के बाद कई बार संगठन को बनाने के प्रयास किए गए और कई मीटिंग भी हुई जिलास्तर पर नाम भी मांगे गए, लेकिन नतीजा शून्य रहा। इसी बीच मार्च में कोरोना महामारी की दस्तक ने कांग्रेस को संगठन को मजबूत करने से रोक दिया, लेकिन यह भी सही है कि पिछले करीब 7 सालों से देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी और किसी समय देश की सत्ता पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस बिना संगठन के चुनाव लड़ी आई और संगठन न होने के कारण कांग्रेस पिछले सालों में व्यक्ति विशेष की पार्टी बनकर रह गई है।
कुमारी सैलजा व भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश की कमान दी गई तो हर किसी को उम्मीद थी कि अब संगठन चुनाव होंगे। कांग्रेस की कमान इन दोनों नेताओं को मिलने के बाद प्रदेश कांग्रेस में कई दिग्गज छोड़ गए, विधानसभा क्षेत्र से भी कई नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। कारण यह रहा कि कई जगह सैलजा समर्थकों को टिकट मिली तो हुड्डा समर्थक पार्टी छोड़ गए, कई जगह सैलजा समर्थकों ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया, लेकिन फिर भी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीद से अच्छा रहा। लेकिन अब कांग्रेस को फिर से संगठन की कमी नजर आने लगी है, लेकिन यह भी सही है कि कांगे्रेस हाईकमान ने पिछले दिनों जितने भी प्रदर्शन हुए, सभी को एक सूत्र में बांधने के लिए विधानसभा स्तर पर चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों के नेतृत्व में सभी प्रदर्शन व कार्यक्रम करवाए, लेकिन गांव, ब्लॉक, जिला स्तर पर संगठन की कमी कहीं न कहीं कांग्रेस को कमजोर कर रही है और जब संगठन चुनाव होंगे, तो निश्चित तौर पर टीम होगी, टीम अपने स्तर पर काम करेगी। गांव से लेकर जिलास्तर तक कांग्रेस मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सकती है, लेकिन फिलहाल तो विपक्ष कांग्रेस पर चुटकी लेता रहा है कि जिसके पास पदाधिकारी नहीं, वह कैसी पार्टी।