ambala today news पढ़िए खबर श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर 11 अगस्त से 12 अगस्त रात्रि तक डीसी ने किन शर्तों पर मंदिर खुले रहने की बात कही

यमुनानगर। डीसी मुकुल कुमार ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 30 और 34 के तहत जिला यमुनानगर के क्षेत्र में जनता के लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी के धार्मिक महत्व को देखते हुए सभी मन्दिर 11 अगस्त सांय से 12 अगस्त 2020 रात्रि तक कुछ शर्तो के साथ खुले रहेेंगे। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को विश्वव्यापी महामारी घोषित किया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा है कि देश में कोरोना महामारी के फैलने का खतरा हैं और इसके प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी उपाय करना आवश्यक हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों के खुलने की शर्तों के बारे में बताते हुए जिलाधीश मुकुल कुमार ने कहा कि कन्टेनमेन्ट क्षेत्र में धार्मिक/पूजा स्थल बंद रहेगें। धार्मिक और पूजा स्थलों पर सेवादारों एवं भक्तों को कोरोना से बचने के सामान्य उपाय जैसे चेहरे को मास्क या कपडे से ढकना, दो गज की दूरी एवं सामान्य सेहत सम्बन्धी उपायों की हर समय अनुपालना करनी होगी। किसी भी प्रकार की आरती, मण्डली या सामूहिक प्रार्थना की अनुमति नहीं दी जाएगी, केवल व्यक्तिगत रूप से प्रार्थना की अनुमति होगी। पूजा/धार्मिक स्थलों के भीतर लंगर या प्रसाद बांटना एवं पवित्र जल का छिडकाव करना वर्जित हैं, हालँाकि पहले से चल रही सामुदायिक रसोई में भोजन बनाना एवं वितरण शारीरिक मानदंडों (दो गज की दूरी) के अनुरूप होगा।

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डीसी मुकुल कुमार ने कहा कि मन्दिर परिसर/शौचालय/हाथ व पैर धोने की जगह को नियमित रूप सेनिटाइजेशन से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 65 साल से अधिक, किसी अन्य बिमारी से ग्रसित व्यक्ति, गर्भवती महिलायें एवं 10 साल से कम आयु के बच्चों को घर पर रहने की सलाह दी जाती है। हाथों एवं पैरो को साबुन से 40 से 60 सैकेण्ड तक या सैनिटाइजर से 20 सैकण्ड तक धोकर ही धार्मिक स्थलों के अन्दर आने दिया जाये, श्वसन शिष्टाचार जैसे छींक या खांसी आने पर रूमाल/टिशु /कोहनी का प्रयोग करे। कोरोना लक्षण मुक्त व्यक्ति को ही प्रवेश की अनुमति होगी, प्रवेश द्वार पर बुखार मापी यन्त्र/थर्मल स्कैनर एवं सैनीटाइजर का होना अनिवार्य है, मास्क/कपडे से मुंह ढक कर ही स्थल के अन्दर जाने दिया जायेगा, विशेषत: प्रवेश करने एवं बाहर जाने का रास्ता अलग-अलग होना चाहिए।
जिलाधीश ने कहा कि धार्मिक संगठनों द्वारा कोरोना से बचाव के पोस्टरों का प्रदर्शन/ऑडिया/वीडियो की प्रमुखता से पालना होनी चाहिए। चप्पल/जूते गाडी में ही उतारें, यदि आवश्यकता पडे तो हर परिवार/व्यक्ति के जूते/चप्पल अलग-अलग स्लॉट में रखे जाएं। स्थल के अंदर बैठने की व्यवस्था/पार्किग/स्थलों के भीतर अन्दर की दुकानों को सामाजिक दूरी के मानदंडों की अनुपालना करनी होगी, धार्मिक संगठनों की अपनी परिसर के बाहर और अन्दर पंक्ति बनाने के लिए 2 गज/ 6 मीटर की दूरी पर स्थाई पेंट मार्किंग सुनिश्चित करे। एयर कंडीशनर का तापमान 24-30 डिग्री पर सेट होना चाहिए एवं कमरा पर्याप्त हवादार हो जिससे शुद्ध वायु का प्रसार हो सके। मूर्तियों/ पवित्र ग्रंथो को छूने, गाना बजाने वाले समूहो की अनुमति नहीं होगी, बिमारी फैलने की सम्भावना के दृष्टिगत जहॉं तक हो सके रिकार्ड किये गये भजन / संगीत का प्रसार किया जाये। उन्होंने कहा कि शुभकामना देते समय शारीरिक सम्पर्क में आने से बचे, सामूहिक रूप से चटाई का प्रयोग ना किया जाये, भक्त चटाई/ कपड़ा घर से लाये जिसे वह वापिस घर ले जा सके। मन्दिर परिसर में थुकने पर सख्त प्रतिबन्ध है तथा प्रवेश करने एवं बाहर जाने के रास्ते अलग-अलग होगे। फर्श की सफाई/ सैनेटाईजेशन नियमित रुप से करें। भक्तों / कर्मचारियों/सेवादारो द्वारा इस्तेमाल किये गये मास्क/दस्तानों/टिशु का निश्चित स्थान पर निपटान किया जाये। भक्त/ कर्मचारी / सेवादार आरोग्य सेतु एप अपने मोबाईल पर डाउनलोड करें एवं स्वयं ही अपने स्वास्थय की निगरानी रखें सार्वजनिक स्थानो पर थूकना कानूनन अपराध है। उन्होंने कहा कि फ्लू के लक्ष्ण वाले भक्तों / कर्मचारियों / सेवादारो को तुरन्त ई0एस0आई0 हस्पताल जगाधरी रैफर किया जाये, यदि व्यक्ति कोरोना पॅाजिटिव पाया गया तो पूरे स्थल को कीटाणु रहित करना होगा।

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डीसी मुकुल कुमार ने मन्दिर प्रबन्धको से अनुरोध किया है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 11 से 12 अगस्त 2020 के शुभ अवसर पर मन्दिरों में पूजा करने के दौरान अधिक भीड़ को रोकने के लिए मन्दिर परिसर में एक समय में 5 से अधिक व्यक्तियों को प्रवेश की अनुमति न दी जाये तथा इस सम्बन्ध में टोकन की व्यवस्था करना भी सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक, आुयक्त नगर निगम, सभी एसडीएम, डयूटी मैजिस्ट्रेट, एसएचओ, सचिव नगर पालिका, रादौर व सढौरा इस आदेश की पालना दृढ़ता से करवाना सुनिश्चित करेंगे। इन निर्देशों/आदेशों की अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 एवं आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 की धारा 51 से 60 के तहत कार्यवाही की जायेगी।

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