Ambala Today News : किसान यूनियन के आरोपों को आखिर अधिकारी क्यों कर रहे नजरअंदाज!

निष्पक्ष होती है जांच तो मार्केट कमेटी के साथ साथ खरीद एजेंसी संचालकों भी बढ़ जाएगी परेशानी
अंबाला कवरेज @ अमित अठवाल। करीब दो दिन पहले सड़क पर ट्रकों को रोककर मार्केट कमेटी के साथ साथ खरीद एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाने वाले किसानों की आवाज को आखिर अधिकारियों ने अपने तर्कों का हवाला देकर दबाने का काम किया है। जबकि सच तो यह है कि यदि मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाती तो जहां मार्केट कमेटी की ओर से काम देख रहे मंडी सुपरवाइजर जयपाल सहित कई अन्य अधिकारियों की परेशानी बढ़ जाएगी। वहीं दूसरी तरफ किसानों का आरोप यह भी था कि एजेंसियों की आढ़तियों व राइस मिलर्स से मिलीभगत है और राइस मिलर्स को लाभ पहुंचाने काम किया गया। किसान यूनियन द्वारा लगाए आरोप उस समय मजबूत भी दिखाई दिए जब वजन करवाया गया तो बोरियों की गिनती से ज्यादा वजन पाया गया।

अंबाला शहर अनाज मंडी की बात की जाए तो वहां पर होने वाली किसी भी खरीद व वजन में धांधली के लिए मार्केट कमेटी से सुपरवाइजर जयपाल सीधेतौर पर जिम्मेदार होता है। वहीं अंबाला शहर की अनाज मंडी में खरीद का काम हैफेड व डीएफएससी की तरफ से किया जाता है। यहां पर उनकी तरफ से भी एक-एक अधिकारी नियुक्त किया गया है। सवाल यह खड़ा होता है कि क्या केवल आढ़तियों के कहने के बाद बिना धर्मकांटा अलार्ट किए गए सीधा राइस मिलर्स को धान की सप्लाई एजेंसी इंस्पैक्टरों ने किसके आदेशों पर की। जबकि मौके पर पहुंचे एसडीएम दर्शन कुमार ने सीधेतौर पर कहा था कि बिना तुलाई के अनाज का बाहर जाना गलत है और यदि ऐसा होता है तो मंडी सुपरवाइजर के साथ साथ मंडी में खरीद का काम देख रही एजेंसियों के अधिकारियों पर कार्रवाई बनती है। एसडीएम महोदय ने केवल एक बात को आधार बनाकर कि किसान इस तरह एजेंसियों द्वारा खरीदे गए ट्रकों को रोक नहीं सकते और इस बात को आधार बनाकर मामले को गोलमोल कर दिया। जबकि अधिकारियों का दायित्व था कि बेशक ट्रकों को रोकने का अधिकारी किसानों के पास नहीं था, लेकिन कही कुछ भ्रष्टाचार हो या फिर गलत तो उसकी शिकायत एक आम आदमी भी कर सकता है। फिलहाल एसडीएम महोदय ने मंडी सुपरवाइजर सहित अन्य खरीद एजेंसियों के इंस्पैक्टर को सुरक्षित करने का काम किया और एक बड़े खुलासे को नजरअंदाज कर दिया।

आखिर क्या है पूरा मामला

किसान नेता गुरमीत सिंह व जय सिंह ने आरोप लगाया कि अधिकारियों व एजेंसी संचालकों मिलकर किसानों को चूना लगा रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि एक ट्रक में एक क्विंटल से लेर 4 क्विंटल तक का माल ज्यादा है और ये ही कारण है कि अधिकारी बिना वजन करवाएं सीधा राइस मिलर्स में माल भेज रहे थे। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि एक कट्टे में 38 किलो150 ग्राम भरने का नियम है, लेकिन हम तो 50 ग्राम ज्यादा मानते हुए आंकलन कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केवल पूरे सीजन में किसानों को हजारों क्विंटल धान का टांका लगाया जाता है। इस दौरान बकायदा किसान नेता ने वजन और कट्टों की गिनती के आधार पर ज्यादा धान होने के आरोप लगाते हुए मामले की जांच की मांग की थी। वहीं ट्रकों की तुलाई न होने के कारण खरीद एजेंसियों ने राइस मिलर्स को सीधा प्रति ट्रक लाभ पहुंचाने का काम किया है। जिसकी जांच होना जरूरी है।

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