अंबाला कवरेज @ अमित अठवाल। हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा हरियाणा में चल रही सीबीएसई व आईसीएसई स्कूलों में आठवीं क्लास में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के बोर्ड के एग्जाम लिए जाने के आदेशों के बाद प्रदेशभर में निजी स्कूल संचालकों ने इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया। सरकार द्वारा आरटीई में बदलाव करते हुए आठवीं को इस साल फिर से बोर्ड बना दिया गया है, लेकिन इसके विरोध में प्राथमिकता के आधार पर हरियाणा प्राइवेट स्कूूल कांफ्रैंस (एचपीएससी) ने विरोध शुरू किया और कहा कि जब सीबीएसई व आईसीएसई स्कूल हरियाणा शिक्षा बोर्ड के अनुबंध ही नही है तो वह कैसे इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का एग्जाम ले सकते हैं। पिछले दिनों चंडीगढ़ में संयुक्त रुप से की गई पत्रकारवार्ता ने निजी स्कूल संचालकों ने सरकार पर एग्जाम के नाम पर रुपए एकत्रित करने के आरोप लगाए थे। जिसके बाद अब हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इस मामले में स्कूल संचालकों से बातचीत करते हुए मीटिंग बुलाई है।
सीएम मनोहर लाल खट्टर के आफिस की तरफ से जारी किए गए लेटर में एचपीएससी सहित प्रदेशभर की 12 यूनियनों को बातचीत के लिए बुलाया है। बैठक के लिए 25 फरवरी की तारीख निर्धारित की गई है और यह बैठक सीएम मनोहर लाल खट्टर के निवास पर रखी गई है। फिलहाल हरियाणा के निजी स्कूल संचालकों की बात की जाए तो कोई भी यह नहीं चाहता है कि आठवीं बोर्ड बने और बच्चों को एग्जाम लिया जाए। एचपीएससी के प्रदेश प्रवक्ता सौरभ कपूर व उपप्रधान प्रशांत मुंजाल ने कहा कि जब सीबीएसई स्कूलों का हरियाणा शिक्षा बोर्ड के साथ कोई अनुबंध ही नहीं तो वह कैसे सीबीएसई व आईसीएसई से अनुबंध रखने वाले स्कूलों के बच्चों का एग्जाम ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने केवल इनरोलमेंट के नाम करोड़ों रुपए एकत्रित करने के लिए यह पॉलिसी बनाई है। फिलहाल 25 फरवरी को सीएम के साथ बैठक में क्या नतीजा आएगा यह तो वक्त बताएंगा, लेकिन स्कूल संचालक इस साल बोर्ड एग्जाम दिलाने के लिए तैयार नहीं।
वहीं अभिभावकों के भी अपने तर्क है। अभिभावकों ने कहा कि हरियाणा सरकार आठवीं क्लास के बच्चों का बोर्ड एग्जाम लेने के लिए कह रही है। दो सालों से स्कूल बंद पड़े हैं और आॅन लाइन क्लास में उतरे अच्छे तरीके से पढ़ाई नही हुई, जैसे होनी चाहिए थी। अब सरकार बोर्ड एग्जाम लेने की बात कर रही है, लेकिन बच्चे बोर्ड एग्जाम देने के लिए तैयार नही हैं। अभिभावकों ने कहा कि बच्चों स्लेबस भी पूरी तरह नहीं आता है और ऐसे में बोर्ड एग्जाम की बात सुनकर बच्चे दबाव में हैं। सरकार को चाहिए कि बच्चें पर पड़ रहे मानसिक दबाव को देखते हुए इसे कैंसिल कर देना चाहिए।