Ambala Coverage News: सरकार ने दी अभिभावकों को राहत, स्कूल संचालक बढ़ा सकेंगे केवल 5 प्रतिशत फीस, पढ़िए खबर

अंबाला कवरेज@ अमित अठवाल। हर साल एडमिशन सत्र शुरू होने के साथ ही प्रदेशभर में चलने वाली निजी स्कूल में फीस वृद्धि को लेकर विवाद शुरू हो जाता है। लगातार पिछले 7 सालों से प्रदेशभर में ऐसे विवादों को देख रही हरियाणा की भाजपा सरकार ने अब निजी स्कूल संचालकों की फीस वृद्धि के मामले में मनमर्जी पर रोक लगा दी है। हरियाणा सरकार ने एक्ट में बदलाव करते हुए स्पष्ट कर दिया कि निजी स्कूल संचालक हर साल मात्र 5 प्रतिशत से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा पाएंगे।

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हरियाणा सरकार द्वारा शिक्षा नियमावली 2003 में बदलाव किया गया है। हरियाणा सरकार की तरफ से शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेके्रटरी ने नोटिस जारी करते हुए बताया कि सरकार ने फीस वृद्धि को लेकर बकायदा नियम बना दिए हैं। सरकार की तरफ से जारी की गई नोटिफिकेशन के अनुसार प्राइवेट स्कूल फीस में महंगाई को नेशनल कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स के साथ जोड़ दिया है। सरकार के अनुसार कोई भी निजी स्कूल संचालक नेशनल कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स की दर से मात्र 5 प्रतिशत ही अधिक फीस बढ़ा सकता है। यानि नेशनल कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स ने महंगाई दर 2 प्रतिशत बताई है तो स्कूल संचालक केवल 7 प्रतिशत तक ही फीस बढ़ा पाएंगे। जबकि अभी स्कूल संचालक 10 से 15 प्रतिशत या फिर इससे भी ज्यादा फीस बढ़ा लेते थे। यहां हम आपको बता दें कि अभी तक नेशनल कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स की दर अधिकतर 6 प्रतिशत के आस पास रही है।

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बजट प्राइवेट स्कूलों को बड़ी राहत

हरियाणा सरकार की ओर से जारी की गई नोटिफिकेशन के अनुसार बजट प्राइवेट स्कूलों को इसमें छूट दी गई है। बजट प्राइवेट स्कूल सरकार उन्हें मानती है जोकि गलियों में कम खर्च में शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। सरकार ने नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया कि जिन बजट प्राइवेट स्कूलों में पांचवीं क्लास तक 12 हजार रुपए वार्षिक फीस ली जाती है उन्हें इस दायरे से बाहर रखा गया है। इसी तरह जिन बजट प्राइवेट स्कूलों में 6वीं से लेकर 12वीं तक 15 हजार रुपए या फिर उससे कम फीस ली जाती है यह रूल उन स्कूलों पर भी लागू नहीं होगा। इतना ही नहीं अभिभावकों को राहत पहुंचाते हुए सरकार ने कोई भी स्कूल पांचसाल से पहले यूनिफार्म को नहीं बदल सकता, तो वहीं विद्यार्थियों पर किताबें, यूनिफार्म, स्टेशनरी खरीदने, जुते खरीदने के लिए किसी एक दुकान के लिए बाध्य नहीं कर सकता। साथ ही सरकार ने यह भी कह दिया गया कि यदि कोई नियमों की अनदेखी करता है तो उसपर 2 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा और स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है।

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